गर कोई कीमत हो,
तो बता देना.....
कर्ज बहुत है मेरे पास,
तेरी यादों का.....-
फिर...
एक... नाकाम कोशिश कर रही हूं ,
तुझे... भूला कर आगे बढ़ रही हूं ,-
चलो आज कुछ लिखते है...
थोड़ी खुशी थोड़े गम भरते हैं,
यूं ही नहीं निकलते मौत के पैमाने...
यहां पल पल मौतें सहने पड़ते हैं,-
न जाने... क्या क्या तकाजे सीख के आते हो,
यूं मुस्करा कर.. हर बार एक आवाज़ दे जाते हो,-
मैं देर तक आसमानों पे यूं ही लिखती रहती हूं,
अपने बस एक ही ख्वाब को बुनती रहती हूं,
अल्फाजों के समुंदर कम पढ़ने लगते हैं,
जब भी "मैं" खुद को ही ढूंढने लगती हूं,
एक दिन फिर सवेरा होगा बस यही सोचकर,
फिर एक नए सिरे से ढलने लगती हूं,
हां थोड़ा इल्म थक जाती है पर क्या करे,
उठ कर फिर वही जवाब ढूंढने लगती हूं,
मैं देर तक आसमानों पे यूं ही लिखती रहती हूं,
अपने बस एक ही ख्वाब को बुनती रहती हूं,-
ख्वाहिश थी पहली मोहब्बत बनने की...
पर पता नहीं था मुहब्बत हमे भी हो सकती है,-
बात बस इतनी सी थी...
इश्क़ की आग में हम जल रहे थे,
और वो दूर खड़े मुस्कुरा रहे थे,-
तू भी मुहब्बत करे मुझसे...
इसकी ख्वाहिश नहीं हमें ,
तू ही मेरी ख्वाहिश रहें बस...
इसकी चाहत है हमें ,-