Daughter of the Earth.
Out of Yajna.
Princess of Panchala.
Queen of Indrapastha.
wife of Five.
Staked by her own Husband.
Dragged into Assembly.
Shamefully and Dishonoured.
Saved by a Divine Miracle.
But,
Like a boat ,she has saved by her husbands when they were drown in a sea of disgrace.
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DRAUPADI
The Most Beautiful Princess Of
Aryavartt And A Woman Conceived
From The Fire. She Was The Only
Follower Of Independence, Truth,
Justice, And Was Very Open Minded
With A Modern Thoughts. Also Very
Talented. She Know All The Vedas
And Shashtras Was Excellent In All
Arts. No One Was So Brave Like Her.
She Was A Lady With Great Respect .
She Was Given A Blessing To Stay A
Virgin With Full Of Purity, Devotee,
Fiery Attitude.
She Lived With A Fire Burning
In Her Soul, All Her Life.
SHE IS JUST AN UNPARALLELED
BEAUTY WITH BRAIN TILL NOW.
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वाणी से बहुत नर्म हूँ मैं
आँखों में लिए शर्म हूँ मैं
मगर छूना नहीं अबला समझ
शोलों से कहीं गर्म हूँ मैं
झूमू तो मैं त्योहार हूँ
विचलूँ तो मै अँगार हूँ
अपमान की जो बात हो
तो वीभत्स मैं संहार हूँ
अपने मान पर अडी हूँ मैं
अपने साथ खुद खड़ी हूँ मैं
कोई पत्थर मुझे क्या काटेगा
अटूट हीरों की लड़ी हूँ मैं
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मैं याज्ञ सैनी द्रौपदी,
कन्या द्रुपद की,
पर अपने सम्मान की,
रक्षा नहीं कर पायी !
मैं याज्ञ सैनी द्रौपदी,
बहन तेजस्वी धृष्टधुम्न की,
पर अपने सम्मान की,
रक्षा नहीं कर पायी !
फिर तुम तो ठहरी,
एक आम स्त्री,
तुम कैसे सुरक्षित रह पाओगी !
मैं याज्ञ सैनी द्रौपदी,
पत्नी पांच अजातशत्रु पतियों की,
पर अपने सम्मान की,
रक्षा नहीं कर पायी !
मैं याज्ञ सैनी द्रौपदी,
सखी पराक्रमी गोविंद की,
पर अपने सम्मान की,
रक्षा नहीं कर पायी !
फिर तुम तो ठहरी,
एक आम स्त्री,
तुम कैसे सुरक्षित रह पाओगी !
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कैसा ये धर्म है जिसमें
भरी सभा मे नारी का चीर हरण हुआ
कैसा ये धर्म है जिसमें
अंधकार की लौ का जनम हुआ
कैसा ये धर्म है जिसमें
दाव पासे का ज्यादा मौल हुआ
कैसा ये धर्म है जिसमें
ज्ञानी क्षत्रिय के हाथो का बंधन हुआ
कैसा ये धर्म है जिसमें
द्रौपदी का स्वाभिमान लज़्ज़ित हुआ....-
कहानी द्रौपदी की...
रिश्ता मेरा था
विश्वास का
अभिमान था मुझे
अपनो का
Read in caption ......
-📝Jyoti Choudhary (monu)
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हे माधव,
तुम कलियुग में भी आओ न
रो रही द्रौपदी उसकी लाज बचाओ न....
(continued in caption)-
हे गोविन्द, हे श्याम, आज मन मे तेज उफान है क्योंकि पूछना तुमसे एक सवाल है,
आप तो है अंत्यर्यामी, भूत, वर्तमान और हो भविष्य के ज्ञानी,
जब भरी सभा मे दुःशासन मेरी ओर चीर हरण के लिए बढ रहा था,
उस वक्त सारी सभा मौन होकर, इस दृश्य को देख रहा था,
पर, आप उस वक्त आगे आकर, दुशासन को क्यों न रोक सके,
अगर आप आ जाते तो महाभारत जैसा विनाशक युद्ध इस धरा पर न होते..!
हे मेरी प्रिय सखी, प्रश्न है तुम्हारा बहुत प्यारा पर इसमे मेरा कोई दोष नहीं,
जब दुशासन तुम्हारी तरफ बढ़ रहा था, उस वक्त तुमने मुझे तो याद किया नहीं,
उस भरी सभा मे तुमने मदद की गोहार सबसे लगाई, पर मुझे भूल गई,
तुम्हें अपने आप पर विश्वास था,इसलिए मैंने तुम्हारी शक्ति पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाई,
जिस वक्त दुशासन तुम्हारी ओर बढ रहा था गर उस वक्त तुम मुझे याद करती, मैं महाभारत कभी न होने देता,
अब, तुम्हीं बताओ सखी, बिना तुम्हारे स्मरण के मैं कैसे बीच मे हस्तक्षेप करता..!!-
//द्रौपदी की व्यथा//
आज चलो मोड़े कथा पृष्ठ,
उस युग युगांतर नारी में।।
जिसके सतीत्व की रक्षा में,
स्वयं कृष्ण अवतारित थे सारी में!
।।पूर्ण कविता अनुशीर्शक में।।-