क्यों असफल हो रही उदेश्य सारी,
हवा सी फैल रही यह महामारी !
नहीं रोक सकी कोई भी अभियान,
आसान ना रहा अब बचाना प्राण !
बढ़ती मौत देख दिल अब हारा,
मिट रहा अपनों से भाईचारा !
क्यों नहीं मिट रही माहमारी,
अब सिर्फ भगवान से है आस हमारी !
नई उजाला मिटा दो मुश्किल,
इन्सान के प्राणों के लिए बनो रहमदिल !
सदियो तक नहीं भुला जायेगा डॉक्टरों का योगदान,
कोरोना से लड़ने में सर्वश्रेष्ठ है उनका बलिदान !
Surbhi Sonali
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Happy Doctors Day!
You Are The Saviour Of Many,
You Are Being Called
As God's Hands,
Thank You For
Choosing This Profession,
And Saving The Lives Of Many✨😊-
👩⚕️ डॉक्टर्स डे 👨⚕️--1st जुलाई
कोरोना काल ऐसा है आया
मरने लगे है लोग, हर जगह खौफ है छाया ||
मगर डॉक्टरों ने अपने कदमो को आगे है बढ़ाया
इस झुलसती गर्मी में पुरे दिन पीपीई किट पहनना आसान नहीं है भैया ||
अपनी जान जोखिम में डाल लाखो की जिंदगी को है बचाया
उनका भी है हस्ता खेलता परिवार, मगर सब कुछ भूल
उन्हें दुसरो की है परवाह ||
बन चुके है ये भगवान
जो बचा रहे है सबकी जान 🙇♀️||-
एक डॉक्टर की शायरी :
दिल बहलाने को झूठे मोहब्बत का ना ख़्याल करें,
सिरप को अच्छी तरह हिलाएं, फिर इस्तेमाल करें..
सुन मरीज़, दिल मेरा टूटा, उठी जब उसकी डोली,
सुबह दोपहर शाम, लेते रहना बस एक एक गोली..
हो सके तो लौट आओ कि उल्फ़त का सुरूर चखें,
कृप्या ये तमाम दवाइयाँ बच्चों के पहुँच से दूर रखें..
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मंदिर,मस्जिद गुरुद्वारा
बंद है,क्योंकि भगवान
सफ़ेद कोट पहन कर
अस्पतालों में घूम रहे हैं।-
तुम करती सेवा का दान हो
इस विपदा की घड़ी में तुम साथ हो,
कर रही तुम सबका ईलाज़ हो
इस धरा पर तुम महान हो,
जो करती सभी की सेवा वो नर्स तुम महान हो
तुम्हारे कर्तव्यों को मेरा बारम-बार प्रणाम हो..!
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एक डॉक्टर को डॉक्टर होने में,
जितनी मेहनत, जितनी लगन, जितना जुनून चाहिए,,
उतने में सब कुछ बना जा सकता ,
लेकिन हमको तो बस सुकून चाहिए..
सुकून वहीं जो मिलता है...
बेतरतीब पड़ी किताबों को,
अलमारी में करीने से सजा कर,
घर में किसी बिगड़ी हुई चीज को खोलकर,
कोई तार जोड़ कर, कोई पेंच लगाकर,
फिर से दुरुस्त करके फिर से कामयाब बनाकर,
©drVats
खुद के लगाए हुए, खुद के पाले हुए,
किसी पेड़ के साये में सुस्ताकर..
सुकून जैसे हमने बचा दिया हो कोई,
बिखरता, ढहता हुआ घर, अपने कंधे लगाकर..
सुकून देश और मानवता पे मर मिट जाने का,
किसी की जान बचाते हुए अपनी जान गंवाने का..
©drVats
लेकिन सुकून तो है बस महसूस होता,
अब बोलकर भला इसको कितना ही बताए,
वत्स की पहली मोहब्बत तो चिकित्सा ही है सदा,
दूसरी कोई और नहीं दूसरी हैं ये कविताएं..-
इंसां हो..? कि दीमक हो..?
फितरत ऐसी दिखा रहे हो..
जिसकी जड़ों में बसे हुए हो,
उसी पेड़ को खा रहे हो...
©drVats
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भारत में रोगों की जब दस्तक हुई ,
नतमस्तक के लिए चिकित्सक बढ़े ,
कृष्ण के भाती रोगों से लड़े ,
देश के लिए राम बने|
प्रश्नों का प्रहार हर बार हुआ ,
आज हर प्रश्नों का जवाब दिया,
बार-बार लाचार किया ,
जगमग हर बार किया |
भारतीय चिकित्सक कम नहीं किसी से,
यह आपने सिद्ध किया ,
हर बार ललकारा जिसने ,
उसे आपने चित किया||-