एकदिन ये हादसा सरेआम हो जाएंगे,
जिसदिन बस,हम एक नाम रह जाएंगे।
ना कहने के लिए हम होंगे,
ना सुनने मेरी तुम आओगे।
धधकती रहेगी कबतक ये आग,
एकदिन जलकर राख हो जाएंगे।
सपने,हक़ीक़त,मोहब्बत,शराफ़त,
ये वहीं है,जो हमें गुमनाम कर जाएंगे।
बस एक अफसोस रह जायेगी तुम्हे,
जो हक़ीक़त में बदल न पाओगे।
याद आएंगे जब कभी,आब-ए-तल्ख से
उन यादों की प्यास बुझाओगे।
आज छोड़ गए तूम मुझे जहाँ अकेले,
एकदिन तड़पता हुआ तुम भी आओगे।
अर्श से फर्श पर आकर ख़ाक हो रहे होगे जिसदिन,
ज़िस्म तो ना होगा लेकिन मेरी रूह को हँसता पाओगे।
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