मांगने से जो मिल जाती मुहब्बत
ये धरती बादल बादल होती...-
चांद सितारे वही
वही है धरती गगन
फिर इतना क्यों बदल गए हम
रिस्ते वही समाज वही
फिर इतना क्यों अलग है हम
भगवान वही विश्वास वही
लेकिन कहां है हम
इंसान वही प्यार वही
फिर इतना क्यों कठोर बन गए हम
हम इंसान है
फिर क्यों इंसानियत भूल गए हम— % &-
तुम प्यारी सी धरती...
और मैं अनंत आसमान...
क्षितिज पर भी हमारा...
मिलन कहांँ हो पाता है..??
सदियों तक रहेगा ऐसा...
अटूट हमारा नाता है..
पर फिर भी हमारा रिश्ता ...
संँपूर्ण कहां हो पाता है...??-
कभी एक न होने वाले
नदी के दो किनारे
धरती के दो छोर
बिछड़े हुए दो प्रेमी
बाहरी तौर पर
कभी न मिल पाने वाले
अंदरूनी
एक डोर से बंधे हैं
नदी की बीचोबीच तलहटी
उसके दोनो किनारों को
एक कर नदी को स्वरूप देती है
धरती के दोनो छोर
जुड़े हैं धरती के बीचोबीच
उसके अंदरूनी कोर में
असीम ऊर्जा के साथ
नए सृजन की
हजार संभावनाओं में घिरे हुए
बिछड़े हुए प्रेमी भी
कहां
कभी बिछड़ पाते हैं
अंतर्मन में एक डोर
बंधी छूट जाती है
जो प्रकट नही है ।
हम जानते हैं बस तो
कभी न मिल पाने वाले
नदी के दो किनारे
धरती के दो अलग अलग
सुदूर ध्रुव
और प्रेम में बिछड़ गए
दो प्रेमी ।
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जिस धरती ने हमें संभाला,
आज उसे संभालने की बारी है।
बोलते रह गए पेड़ पोेधे लगाओ,
आज ऑक्सीजन की कमी भारी है।
आज भी वक्त है धरती बचा लो,
नहीं कोई ओर आ जानी नई बीमारी है।
करोना तो हमसे संबल नहीं रहा,
फिर भी करते अपनी मनमानी है।
अब तो पर्यावरण बचा लो।
बहुत दुनियां ने अभी जिंदगी बितानी है।-
धरती अम्बर से सीख प्यार की छाया को
दुर है पर नज़रो के सामने है,
अम्बर धरती के लिए
तोह धरती अम्बर पे निर्भर है।।
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वातावरण के चादर में लिपटी
लेती है अंगड़ाई देखो
अपनी प्रकृति में ही सिमटी-
Jis Chand ki chahat lakho sitaro ko hain,
Wo Chand dharti ka diwana hua baitha hain,,
Lekin dharti itni bebas hai suraj k isaq me k Chand ko bhulaye baithi hain,,,
Or ek taraf suraj hai jise kisi k hone na hone se Fark nhi padta.. khud ko jalaye baitha hai , duniya bhulaye baitha hain.-
धरती हमारी भारत की
धरती हमारी भारत की,
इनका रूप है बड़ा ही मनमोहक,
देती कदम-कदम पर चोकनना कर, सबको।
किये खुद में कई राज दफन,
जिसे जानने वैज्ञानिक हो जाते मगन
और बच्चे हो जाते उत्सुक।
ऐसी है धरती हमारी भारत की।।
है इनकी भी शान,
कई ग्रंथों, कई वेदों के साथ।
हैं इनकी भी शान,
कई महलों, ताजमहल महल, होले सिटी वाराणसी के संग।।
है इनकी भी अलग पहचान,
लड कई लड़ाईयों के साथ।
खुद है इनकी कई इतिहास,
अपने विर सपूतों के साथ।
जिसे खुद चुनी अपनी आजादी के लिए।।
धरती हमारी भारत की,
इनका रूप है बड़ा ही मनमोहक,
जो खुदको सजाई दूल्हन की भाती।
जिसे देख हर कोई हो जाता मजबूर,
उसे प्यार करने को,
ऐसी है इनकी खूबसूरती।
धरती हमारी भारत की।।-