"जीवन के धागे"
धागे जीवन के कुछ सुलझे,
तो कुछ उलझ के रह गए...!!
कुछ आंसू आँखों से छूटे,
तो कुछ बिन छूटे बह गए...!!
कुछ ने जी भर के कहा,
तो कुछ बिन कहे कह गए...!!
कुछ लोग नये थे राहो में,
कुछ पुराने रह गए...!!
जीवन के कुछ धागो ने हम को मोह लिया,
तो कुछ को हमने खो दिया...!!
कुछ के लिए हम रोये,
तो कुछ ने हमारे लिए रो दिया...!!
बड़े ही कच्चे होते हैं ये धागे जीवन के,
टूट जाते हैं पल में तनाव से मन के...!!
ये फूल हैं नाजुक बड़े हमारे उपवन के,
जीवंत हैं अगर ये,
तो सिर्फ मन के धन से...!!
हैं धागे जुड़े ये हुए वचन से,
मजबूत होते रहते हैं ये सिर्फ अपनेपन से....!!
-©Saurabh Yadav...✍️
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