जो नहीं समझ रहे, वो नहीं समझ रहे।
पर जो समझ रहे हैं, वो न जाने क्या समझ रहे।-
The illusion of this
wonderous world
is Life itself.
इस अद्भुत दुनिया का
भ्रम ही जीवन है।-
एक वो है जिसे मैं सिर्फ याद कर सकती हूँ पर ज़रा भी बात नहीं हो सकती
एक वो है जिससे हजार बातें हो सकती है पर सिर्फ याद कर के रह जाती हूँ ।।-
दरवाजे पर पहुंच कर 'मैं' पीछे मुड़ गई
सोचा ना था जहाँ से...बिन बात के चल दी
मैं कशमकश में हर बार रही तेरी जिंदगी
अल्फाज़ बदल दिए नजाने कब पत्थर हो गई ।।
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It seems when you want someone,
they don't want you.
And when someone wants you,
you don't want them.
And when you both want each other, something has to come around
and mess it up.-
Should I keep going or,
should I quit going?
Often I asked this myself..
Not known to follow or,
Am I just flowing where thy choose to go.-
शाम की ख़ामोशी और हल्के चाँद की रोशनी
सरसराती ये मदहोश सर्द हवा के झोंके
कानों में कुछ फुस-फुसाते हैं
मानों मुझें कोई राज़ बताना चहाते हैं
तारों का ये अनमोल नज़ारा
कहता हैं कोई मुझे हैं मुझसे भी प्यारा
पलकों में नमीं, होठों पर मुस्कुराहट हैं
किसी जाने पहचाने की जैसे आई आहट हैं
कौन हैं ये जो दिल को छू रहा हैं
कौन दूर रह कर दे रहा सज़ा हैं
क्या मैं उसे जानती हूँ??
क्या इस अपने अज़नबी को पहचानती हूँ
ये कैसी हैं कश्मकश, ये कैसी हैं उलझन
लो जा रही हैं फ़िर से डोली में एक दुल्हन
हँसती हैं दुल्हन, पर किस को खबर हैं
दिल में दफ़न इसके सपनों का घर हैं-
उसने जन्म के बाद
अक्सर यही सुना था
की उसे अपने घर जाना हैं...
ये घर तो उसका चार पल का ठिकाना हैं...
इस घर से विदा होने की घड़ी नज़दीक जब आई
माँ बोली...असली घर को हमने तेरी डोली हैं पहुंचायी
सपनों के गुलदस्ते लेकर पिया संग तो चली आई
पर यहाँ भी बेचारी पराये घर की कहलायी
कश्मकश की नदियां में चपु हाथ से छूट गया
एक रोज़ जब उसका सब्र का बान्ध टूट गया
अक्समात ही उसके मुँह से फूट गया
"पराये घर से आई हूँ
बेगानो में डेरा हैं
क्या वास्तव में भी कोई घर मेरा हैं !!"-
Hogaye uske bhi aankhein nam..!!
Dekh kar aansoo mere..!!
Wo mohabbat nahi.. magar pasand hamein bhi behisaab karta hai saheb..!!-