इन दिनों मसरूफ़ है वो सारे जज़्बात, जनाब,
जो कभी बिना इजाज़त के दिल पे दस्तक देते थे ।-
हम तो ताउम्र उनके मुन्तज़िर होने को तैयार थे जनाब,
मगर उनकी इम्कान-ए-दस्तक ही 'ना' के बराबर निकली ।-
दिल पर इश्क की दस्तक देख...
हम मन ही मन हर्षाए थे...
हमको क्या पता था कि...
मेरे मेहबूब लुटेरे बन कर आएँगें...-
lams wo jo teri ruh tak de dastak
jism se mubtala bhi na ho.
sda wo jo tasbeer bne teri ankho ki
or kano ko itala bhi na ho-
Woh hai k jaate jaate peeche mudke nhi dekha
Aur uske yaadein hai k baar baar mere dil-o-dimag pe dastak diye jaate hain.-
Lgta hai koi aaj fir is tute dil p dastak de rha hai,,,
Begana sa lgne bala saksh apna sa bana rha hai...!!! 😘-
आख़िरी साँसे ले रहीं हैं मोहब्बत यें हमारी
फिर से जान डाल दो देकर दस्तक यें तुम्हारी-
तेरी दस्तक से ख़िज़ा भी बहार हो गई,
तसव्वुर से ख़्वाब तक का सफ़र,क्या कहना..
ठहरे पानी सरीखा थी, मुंतज़िर एहसास लेकर,
मुलाक़ात मयस्सर हुई, तेरी रवानी क्या कहना..-
कभी कभी यादें तेरी दस्तक सी दे जाती है
जैसे बंद कमरे मे रोशनी सी हो जाती है।।-