ये मौसम भी कुछ कुछ मुझ सा हो रहा है
मेरे आसुओं की तरह ये भी जम कर बरस रहा है-
Ek barish hi to hai
Jo aansuo ko dikhne nahi deti....
Lekin jo barish me bhi
Aansuo ko dekh le
Usse jyada pyar karne wala
Koi aur nahi ho sakta....-
ये धरा की तपन को..
अम्बर ही महसूस कर सकता हैं..
जब गिरती बारिश की, नन्हीं सी बूँदे जमीं पर..
तो सौंधी सी खुशबू का, सांसो में घुलना लाज़मी हैं..
बचपन की अठखेलियां, कागज़ की कश्ती बनाना..
बेधड़क बारिश में नाचना, वो बारिश में बूँदो संग रोना..
"बारिश की बूँदो का एहसास"-
मौसम ए इश्क़ में...
उसके आंसुओ की बारिश से..!
मेरे सीने में एहसासों की...
जमकर बरसात होती है....!!
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Kuch log hamari jindgi me barish ki us boond ki tarh hote hai jo hathelio par padte hai to bahot thandak ehsaas dilaate hai.. Or hathelio se girte hi gum ho jate hai..
Boondo ko to nahi roka ja sakta lekin us saksh ko rok sakte ho.. Kyunki gar vo bikhar gya.. Yakeen mano mere dost dhoond nahi paoge...
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जो रख्खे थे छुपाके बरसों से वो सारे बहे गए
लगता हैं अश्कों को अपने टक्कर की बारिश मिली है
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अकेला छोड़ के चली गयी आज वो हमें
अब लगता है जैसे हर मौसम बरसातही हो
क्योंकि वही बारिश अलग होती है सबके लिए
कोई खुश होगा बेहद, पर हमे तो छुपाना है अपने आसुओंको-