“होली”
इस होली आओ खेले,
वो बचपन वाली होली
धमाँ चौकड़ी गली मोहल्ले,
रंगो संग ठिठोलि
लगा के गाने अमिताभ के,
ठुमके खूब लगा लो
दिखे कोई कोरा गर उसको ,
पकड़ वहीं रंग डालो
डाँट पड़ी गर !
एक ही सुर में यही राग दोहरा लो
जोगिरा सा रा रा रा,जोगिरा सा रा रा रा
क्या गुलाल क्या रंग क्या कीचड़,
सब एक कर डालो
गुजिया खुरमे बहुत चखे,
अब ठंढई के मज़े उड़ा लो
पर होली का नशा तभी जब,
उसमें भंग मिला लो
जोगिरा सा रा रा रा,जोगिरा सा रा रा रा
एक रंग में रंगे सभी
क्या बच्चे और क्या फूफा,
नीले पीले गाल गुलाबी
कोई ना चेहरा छूटा,
होली का त्योहार यही है
सब एक हो जाते,
अगले पिछले सभी गिले
रंगो संग ही घुल जाते,
चेहरे पर मुस्कान लिए
सब संग संग दोहराते,
जोगिरा सा रा रा रा,जोगिरा सा रा रा रा....
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