Pooja Singh   (Pooja_सय्यारा!)
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मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ जो शोर मचातें हैं…
Joined 14 January 2022


मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ जो शोर मचातें हैं…
Joined 14 January 2022
12 DEC 2023 AT 17:42

बनारस..तेरी भीड़
तेरी गलियाँ नदी का नीर…
इन सब में खो कर पाया ख़ुद को
भूला मन का पीर…

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12 DEC 2023 AT 1:02

भाग कर आई थी मैं
ज़िंदगी की उलझनों से यहाँ
ऐ घाट तूने उलझनों के
कई गाँठ खोल दिये

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19 NOV 2023 AT 15:48

क़िस्सा तो मन बहलाने का था..
और मैं उसे प्यार समझ बैठी..
लूटा भी उसी सक्श ने..
जिसे मैं पहरेदार समझ बैठी..

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19 NOV 2023 AT 15:42

इस दीपावली
मैंने भी जम के सफ़ाई की
बेमतलब ख़ुदगर्ज़ रिश्तों को
इस दिल से रिहाई दी….

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21 JUN 2023 AT 21:30

“ सावन “
बादल का सीना चीर के जब
बूँदे मल्हार सुनाती हैं ।
मन नाच मयूरी के जैसे
सब भूल कहीं खो जाती है।
जब हाँथ पसारे रोकूँ मैं
बादल से गिरती बूँदो को,
क्या कहूँ ? कि मन के कोने में
घुँघरू सी गूँज सुनाती है।
मन हुआ कि बिखरूँ बूँदो सी
मैं धरा पे यूँ ही बह निकलूँ,
मन हुआ जहाँ पे ठहरूँ मैं
मन हुआ वहीं से बह निकलूँ,
ना संग कोई हो साथ मेरे
बस मुझमें मैं ,और बूँदे हों,
मन भिगो के झूलूँ सावन में
जो गीत हो बस वो मेरे हो
जो गीत हों बस वो मेरे हों….

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20 JUN 2023 AT 23:28

नहीं रहना सलीक़े से..
मुझे बिखरा सा रहने दो…
सलीक़े से रखी चीज़े
कोई सँवारता नहीं……

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21 JAN 2023 AT 19:15

देख कर जो आईने में ख़ुद को, मुस्कुराती हूँ !
मैं ख़ैरियत से हूँ ,ख़ुद को ये बताती हूँ …
कहीं ना देख लूँ शिकन,मैं अपने ख़ुद के माथे पर !
आँखों की सियाही से ही,आँखें भींच जाती हूँ …

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16 JAN 2023 AT 9:12

यहाँ हर शख़्स बैठा है,
तुझे नीलाम करने को…
अपनी क़ीमत का पता यूँ…
ना हर एक को बता तू…!

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10 JAN 2023 AT 15:29

बेवफ़ा नहीं.. बड़े ही वफ़ादार हैं आँसू
गिर के भी वफ़ा का ही हैं ये फ़र्ज़ निभाते
आँखों कि जमीं को तो साफ़ करते ही हैं ये
कुछ अज़ीज़ के ज़मीर का भी पता बताते…

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9 JAN 2023 AT 1:12

तुझ तक पहुँचने की वो गलियाँ …
तंग बहुत हैं….
जितना भी बचाऊँ !
खरोंचे आ ही जाती हैं…..

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