मन में मेरे इतना शोर है
फिर भी घड़ी की टक _ टक
क्यों सुनाई दे रही 🤔
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कहीं मन भी आज शांत तो नहीं हो गया 🤔🤔
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समर्पण का लिया है प्रण,
परीक्षा है प्रतिक्षण
करके आत्ममंथन,
करना है सजग चिंतन
दांव पर लगाना है जीवन,
कंटक है पग पग
बाधा बिपदा रौंदकर
पहुंचना है शिखर तक-
मेरे भीतर है शोर गहन, बाहर सन्नाटा पसरा है,
मौन मेरा प्रवाक है आज, अंतर्मन हुआ बहरा है।
क्रोध हुआ सुषुप्त आज, प्रेम ज्वाल सा गहरा है,
करूण हृदय विकराल है, मर्म पर लगा पहरा है।
शूल बने मृदु अहसास, करूणा पे घोर अंधेरा है।
पाहन हुआ है अंतःकरण विश्वास खंडित मेरा है।
छलनी देह, छलनी मन, शब्दों से कभी नजरों से,
क्या जन्म लिया नारी होके ये कोई पाप मेरा है?
कभी पूजी जाती हूँ, कभी हवस की भेंट चढ़ती,
कहाँ सुरक्षित हूँ बताओ? हर चेहरे पर चेहरा है।
माता, भार्या, अनुजा हर रूप में सहती रहती हूँ,
क्या हँस लूँ गर कभी तो चरित्र दागदार मेरा है?-
Rasto pr aanke lgaye baithe h
Tumhara inetzaar ,or intezaar Mai Sabar
Vaqt bit-ta jaa rha h
Agar fursat mille to bhej Dena apni khabar-
तेरी बाहों में आते हैं तो वक्त ठहर जाता है।
नजरें ठहर जाती है चेहरे पर दिल कहर ढाता है।।-
लिख नहीं पाते, मगर वो पढ़ गए हैं
सीढ़ियाँ ऊँची लगाकर चढ़ गए हैं
हम सफ़र में काफि़लों से ऐसा बिछड़े
क़द में छोटे आज आगे बढ़ गए हैं
रास्ता अपना अकेला है, तो क्या है
हम नया इतिहास भी तो गढ़ गए हैं-
चिंतन....
चिंतन मानव का एक विशिष्ट गुण है..!
जिसकी सहायता से वह अपनी आदिम
अवस्था से ....
सभ्य अवस्था तक पहुचने में सफल होता है...!!-
मस्तिष्क के भावों से भावना रूपी आंसू लेखक की लेखनी से जीवंत हो जाता है
नदी रूपी बहकर किसी से संगम हो जाता है या फिर सागर में मिलकर निर्वाण प्राप्त होता है
😊😊-