सीधा - सादा भी कुछ कहा करिए
इतना ख़ामोश मत रहा करिए
सांस घुट घुट के ले रहे हैं
क्यों
संग हवाओ के भी बहा करिए-
ज़िंदगी हूँ, महज़ सफ़र हूँ मैं
एक भूला हुआ, ज़िकर हूँ मैं
क्या मुझे काम, कहाँ क्या करना
आह और वाह से इतर हूँ मैं-
ग़ुरूर रख ज़रुर रख, तुझे रोका किसने
तू दौड़ तेज़, और तेज़ तुझे
टोका किसने
मगर यह सोच के हैरान कभी मत होना
अकेलेपन में इस क़दर तुझे
झोंका किसने?-
समंदर के किनारे बैठ कर क्या जान पाओगे
ये ख़ारापन, ये बेचैनी, फ़क़त सहने से समझोगे-
घिरते पतझर में भी मधुमास नया लिख डालो
गहरे भ्रम जाल में विश्वास नया लिख डालो
पढ़ो बल बुद्धि से कौशल से
सूझ बूझ से तुम
लिखो तो ऐसा कि
इतिहास नया लिख डालो-
बचपन, वो शुरुआत है
जो अंत तक साथ रहती है...
.इस लिए, जितने बड़े होते हैं
बचपना बढ़ता है
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वक्त के साथ गुज़रते रहना
बात से अपनी मुकरते रहना
ये हुनर काश हमें भी मिलता
टूटकर रोज़ सँवरते रहना-
Always......
Forever.... Forever.....
Remember your fragrance
Everywhere...
Still unable to understand
Anything.... After all
How could you this?
Last call?-
जो रिश्तों की दुनिया में, एकाकी होंगें
भीतर से कुछ ख़त्म, ज़रा सा बाकी होंगे
या तो हो संन्यस्त, मौन धारण कर लेंगे
या रिंदों सी शाम, जाम और साकी होंगे
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