बैठता हूं जब मैं किनारे और देखता हूं वो शिकारा
अपने प्यार के मंज़र को मैंने बड़े क़रीब से निहारा
क्यों ख़ामोश हैं ये वादियां क्यों हैं चुप ये फ़िज़ायें
चिनार के पत्तों ने भी तेरा नाम ले कर पुकारा-
6 MAR 2019 AT 9:23
6 JAN AT 22:47
ज़र्द पड़े पत्तों पे भी सुर्ख़ियां चिनार सी आ गई,
तेरे लम्स की तासीर से मुझमें बहार सी आ गई।
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12 DEC 2021 AT 17:54
तेरी यादें कौनसी चिनार पात से कम है
सूख भी जाए तो भी हटा नहीं पाती। !!!-
6 FEB 2020 AT 19:28
पहले तो नर्म पंखुडिया भी
मुझको लुभाती ना थीं,
तुमसे मिल कर जाना कि,
किताब में रखा सूखा सा
चिनार का पत्ता भी कितना
अनमोल होता हैं।-
15 NOV 2021 AT 22:27
Mai Agar chaand kahun Tumhe Tou Gugtaakhhh tou keh Lawuga naii ...¿
Parr haan Ye Tou Keh skta hu Mai Bhala...!
Kii Chaand Tere Husn Ki Beekhh Hai Wallah...!-
9 JUL 2017 AT 15:59
छोटी सी पहाड़ी पर, उसका छोटा सा घर
जिसके बाहर एक ऊँचा सा पेड़ था,
और बड़ी सी घाटी का मंज़र,
जहाँ से हम आए थे, नागिन राहें चढ़ के;
उसके लिए तो उसका आँगन था.
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4 MAR 2021 AT 19:49
तुम और चिनार
एक जैसे हो ,,
बिल्कुल
पतझड़ की
मुस्कान जैसे ❣️
(पूरा अनुशीर्षक में पढ़ें)-