हां आंखें सुजाई है हमने
रात भर अश्क बहाए हैं।।
क्या ये सुनकर लौट आओगे तुम
तुम्हारे नाम पर कितना लोग आजमाए हैं।।
फकत आंखों से तुम्हारे ख़्वाब जाते नहीं
अब तो नींद को भी दुश्मन हम बनाए हुए है।।
चांद फलक से जमीं पर कब उतरा है भला
फिर भी उसके आने की आस में हम नजरें गड़ाए हुए हैं।।
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फर्क क्या पडता है कि ये चांद ईद का है ये करवा चौथ का
इस चांद की चांदनी यू ही बरकरार रहती है
और जो दूर है अपने अपनो से उन के लिये भी उस खुदा से इबारतें हजार रहती है
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उतरा तो था वो मेरे अंदर..एक समंदर की हलचल की तरह !
Utra tou tha wo mere anndar..Ek samanndar ki halchal ki tareh !
और दे गया बस चंद क़तरे मेरी..आँखों में खारे पानी के !!
Aour de gaya bas channd qatre meri..Aankhon me.n khaare paani k !!
13/01/2018.
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Chaand bhi sharmaye aisi tujmai har baat thi ,
Jab tu mere sath tha tab kitni hasin wo raat thi !!-
उनके सितारों को जरा नींद के आगोश मे आने दो
हम अपने चाँद को बुला लेंगे छत पे इशारा करके
चाँद मुबारक-
Ye chaand bhi kitna khubsurat hai
Khud jalkar raaton ko thnda krta hai
Chup chup kar rubaru hua karta hai
Dekho n iska baddapan khud hai itni dur lekin.
Ik aasmaan m hme mila kr rkhta hai.
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हर दिन का चाँद होगा बेहद खास ....
कभी अपने प्रियतम के हाथों में हाथ डालकर चाँदनी रात में बैठिये तो सही ...!-
चाँद
चाँद कभी पूरा कभी आधा लगता है
ज़िन्दगी का आईना अधुरा लगता है
जब करने बैठते हैं तुमसे प्यार भरी
गुफ्तगू ,न जाने क्यों समय कम लगता है
वादों औ य़ादों के झुले में झुलते हैं हम
कभी अपनी तो कभी तुम्हारी परछाईयों को टटोलते हैं हम-
सब अपने से लगते हैं लेकिन सिर्फ बातों से,
गुम हो जाता हैं ये अपनापन चंद मुलाकातों से।-
कुछ रूठा सा है हमसे वो इस तरह , उसे मनाए केसे ।
कुछ चार पल सुकून के, उसके साथ बिताए केसे।
कि हमने तो कर ली सारी कोशिश उससे मनाने की
ए चांद तू ही बता दे हमे कि अब हम उन्हें मनाए केसे।-