कतार में खड़े है खरीदने वाले,
शुक्र है मुस्कान नहीं बिकती !
ज़मीर जिंदा है !-
किसी की नम आंखों में मुस्कान दिखे जैसे
बारिशों में सज जाता है मेरा शहर कुछ ऐसे-
ख़ामोशियों का दायरा
इस कदर बढ़ रहा है!
मेरा वज़ूद अब मुझसे
हर पल लड़ रहा है!
समुंदर एहसासों का
पलकों से बहाऊँ कैसे!
क्या है आलम खुद का
दुनिया को बताऊँ कैसे!-
I packed it up
In the puffy bags,
Those I carried
On my shoulders;
The ones under my eyes.
The city that I gave up on,
Called me back to it;
It isn't the love I had for it,
But, how it snuggled me
Right into its heart.
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हर कोई ढूंढता रहा खामियाँ मुझमें हमेशा!
और
मैं सब में खूबियों को तलाशता रहा अक्सर!-
सफर एहसास से अल्फाज तक का
यूँ ही तय नहीं कर लेता है कवि,
रूह से कलम का पाक रिश्ता जोड़ने
में ता उम्र बिताता है वो पहले!!-
हर उड़ते परिंदे की
मंज़िल आसमान नहीं होती!!
कभी-कभी तलाश आशियाने की
उड़ान भरने पर मजबूर कर देती है!-
लम्हे सुख और दुख के
कई कैद हैं इन आँखों में,
एहसास जाने कितने
भरे भरे से हैं इन साँसों में,
लम्हे जो कोई
दिल को याद आयें
तो साँसें थम सी
जाती हैं कभी कभी!
एहसास जो कभी
कोई दिल को रुलायें,
तो पलकें भारी भारी सी
हो जाती हैं कभी-कभी!!
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वो किताबों से भरे बस्ते का बोझ ही अच्छा था,
ज़िंदगी तेरे तजुर्बों से भरे इस वक्त के बस्ते से!-