मैं तुमसे पिया
तुम हो मुझसे पिया
मैं चरणों की धूलि
तुमहो मेरा जिया
क्यों की भक्त ओर भगवान के बीच इतना अंतर
जितने ह्रदय ओर चरणों के बीच होता है!
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आँखों का नूर मेरा डुग्गर देश प्यारा
धरती का स्वर्ग हमारी पह... read more
छ:साल के हो गये, तुम्हे जन्मदिवस की शुभकामनायें
तुम्हारी बजह से मैं,अपनी प्रतिभा को निखार सकी
अपने अंदर के हुनर को, अच्छे से पहचान सकी
अगर तुम न होते तो शायद मैं गुमनामी में जी रही होती
आपका दिया मंच मेरे लिए एक बरदान साबित हुआ
जितने खुले दिल से अपने विचार यहाँ लिखती हुँ
इतने शायद ही किसी ओर मंच पर नहीं लिख पाती
योरकोट पर एक अपनापन महसूस होता है मुझे
इसलिए योरकोट दिन दुगनी रात चुगनी तरक्की करे
पुरे परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई.-
जो शब्दों से बयां नहीं किये जाते
दिल बस महसूस करता है उनको
वो कुछ उनकहे उनसुने से एहसास
बड़े सलीके से सजाकर मन के किसी
कोने में संभालकर रखे हैं मेरे कान्हा
तेरे सिवा कोई महसूस नहीं कर सकता
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कमजोर पड़गे ओर
मन को मोड़ लिया
मुसीबतों से घबराकर
सफर अधूरा छोड़ दिया..-
बिन मांझी कस्ती ऐसे डोले
जैसे कोई मुसाफिर आवारा
चलाचल राही यूँ ही पथ पर
कभी तो मिलेगा तुझे किनारा...
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समाज के अनोखे खेल
वो तो जीना चाहता है,
निरअंकुश निरबंधन बस
छूना चाहता है आसमान को
निरछल प्रेम से पंख फैलाये
उड़ना चाहता है हवा के संग
जीवन के राहों में बाहें फैलाये
मिटा देना चाहता है रंजोगम
की दिलों में बढ़ती हुई दीवारें
बना देना चाहता है ये दिल
इस दुनिया को स्वपन लोक
सा जहाँ प्रेम ही प्रेम हो,......-
मेरे कान्हा क्यों इतना सताते हो
सपनों में झलक दिखलाकर कहाँ छुप जाते हो
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ख्वावों का बिखर जाना भी दिल टूटने से कम नहीं होता,
ओर किसी का मुस्कुराना भी हाल पूछने से कम नहीं होता,
दस्तूर है जमाने का वक़्त पड़ने पर याद करते हैं किसी को,
अगर यूँ ही हाल पूछ लिया होता तो जमाने में इतना गम न होता,
दर्द देकर तेरे मुस्कुराने की आदत तुझसे छूटी नहीं अब भी
अच्छा होता के मेरे दर्द में मेरे आँसुओ से तेरा चेहरा नम होता,
इंसान सांस भी न लेने देता अगर इन हवाओं का दामन न होता,
यूँ ही गुमनामी में जी रहे होते अगर मुझपर तेरा कर्म न होता,,
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लिखना तो चाहती हुँ
लेकिन अपने जज्बातों को
तेरे एहसास की कविता को
शब्दों में कागज़ पर लिखने
के लिए उपयुक्त शब्द नहीं
जो मेरे जज़्बात की गहराई
को नाप कर शब्द बन सकें
मैं लिखना तो चाहती हुँ
मैं निडर होकर ढूंढ रही हुँ
एक कविता के लिए शब्द
जो किसी की आंख का
चमकता मोती हो ओर
किसी की जीवन जोति हो
मैं ढूंढ रही हुँ पत्थर पर उगे हुए
वो बीज प्यार के जो बोये थे
नफ़रत की आंधी से बचाकर
एक उम्मीद की किरण बनकर
आज भी मैं लिखना चाहती हुँ
एक कविता तुम्हारे विश्वास के लिए
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लगाकर जब निकलती हुँ
लगता है चाँद मेरे माथे पर है
जिसकी रोशनी ऊर्जा देती है
जो अकेले होने पर भी मुझे
सम्पूर्ण महसूस करवाती है
दूर होकर भी हम एक साथ हैं
मुझे ये एहसास दिलाती है...-