उसके दिल के दरवाज़े पर लगी वो चाबी हूँ मैं,
ना मैं दिल खोल पाई , ना दस्तक दे पाई।।-
3 FEB 2020 AT 2:45
31 JUL 2020 AT 14:06
लोकडाउन मैं इतना,
लोक हो गये हैं की,
आपकी यादों की चाबी,
भी नहीं मिल रहीं हैं,
कि इसे खोल सके।-
28 NOV 2020 AT 20:09
उसके दिल के दरवाज़े पर लगी वो चाबी हूँ मैं,
ना मैं दिल खोल पाई , ना दस्तक दे पाई।।-
22 AUG 2020 AT 15:15
जुबान अब मत ही खुलवाओ तुम मेरी
क्योंकि फिर तुम्हारी जुबान के ताले को कोई भी चाबी नहीं खोल पाईगी।-
7 JAN 2021 AT 21:40
कल मैने अपनी मुस्कान को तिज़ोरी में रख दिया था,
मगर अफ़सोस...
उस तिज़ोरी की चाबियां रखकर कहीं भूल गयी हूँ,
आपको मिले तो लौटा देना।-
28 OCT 2019 AT 1:39
कैसा यह नशा है,
इंसान अपने को भूल
किसी और की छबि खुद मे लिऐ घूमता है।-
22 OCT 2020 AT 13:18
थमा कर उसे अपनी खुशियों की चाबी
हमने अपने ही गमों के दरवाजे खोल दिए ..।।-
14 JUL 2020 AT 1:30
हमने आपसे सिर्फ चंद खुशिया मांगी थी
आपने तो हमे खुशियों की पुरी पेटी देदी थी!
अफसोस हमारी अच्छी सोच पे,
मालूम पड़ा हमे चाबी अपने पास रखी थी।-