Wo mohabbat bhi teri thi .... Wo nafarat bhi teri thi.. Wo apnapan or thukrane Ki ada bhi teri thi.... Hum apni wafa ka Insaaf kis se maangte .... Wo sehar bhi tera tha Or adalat bhi teri thi....
मै कुछ दिन इस दुनिया मे गुमनाम सा रहना चाहता हूँ। बंजर जमीन की तरह बेकाम रहना चाहता हूँ।
जँहा कोई ना हो मेरी फिक्र करनेवाला । जहाँ कोई ना हो हालातो की जिक्र करनेवाला। ऐसी कोई जगह पर आराम करना चाहता हूँ। मै कुछ दिन इस दुनिया मे गुमनाम सा रहना चाहता हूँ।
जहाँ हवाएँ अपने आप मे मस्त हो। जहाँ कुदरत अपने आप को सँवारने मे व्यस्त हो। जहाँ की कलियों को भौरो का डर नही। मुट्ठी भर हो वो जगह पर अपने आप में समस्त हो। ऐसी किसी जगह पर अपने आप से लड़ना चाहता हूँ। मै कुछ दिन इस दुनिया मे गुमनाम सा रहना चाहता हूँ।
The only reason are your beats... Which are growing my love seeds... Every day my emotion for you exceeds... Just be mine for life my heart always pleads...