मसरूफ़ थी काम करने में मगर यही एक काम नहीं कर पाई साज़िशे तो मैंने बहुत की लेकिन मर नहीं पाई..!
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खाली खाली गुजर रही जिन्दगी अब खल रही है
हाल पूछते हो हमसे जिन्दगी का 'बस चल' रही है
महानुभाव तो हूं नहीं कि हर काम सही करूंगा मैं
रोजमर्रा की जिंदगी भी आजकल पर टल रही है
ऐसे ही कहते हैं बातों को ऐसी बातों में मत लेना
ख्वाहिशें अभी नाजुक हैं धीरे-धीरे पल रही है
मैं कुछ लिखता हूं तुम कुछ और एहसास पढ़ते हो
यही बात है जो मेरी बात तुम में कम ढल रही है
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"बड़े होंगे तो जियेंगे जिन्दगी,अपने हिसाब से"
बचपन के इस ख्याल पे अब हसीं आती है....-
I hope the demons in hell must be
giving you a good company or at least
a better company than that angel
whom you called boring and left.
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ऐ जिंदगी इतने इम्तहान भी ना लिया कर हम यहां कौनसा बार बार आने वाले हैं
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Zero no ane pr utna gm ni ta
Jitna kush y sochk ta
Ki mere sath or bhi hai
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क्या कोई किसी को हक़ीक़त से जानता है
मुझे लगता है अपनी जरूरत से जानता है
दिल-ए-मासूम के ज़ख्म किसको दिखते हैं
यहाँ तो ख़ुशी हर शख़्स सूरत से जानता है
उस इंसान से रिश्ता हरगिज़ नहीं बेहतर
जो तुम्हे, तुम्हारी मिलकियत से जानता है
ऐसी पहचान से गुमनामी कई गुना अच्छी
ग़र कोई भी तुम्हे बस नफरत से जानता है
उसकी ख़ुशक़िस्मती का कहो, कहना क्या
कोई उसे, उसकी नर्म आदत से जानता है
मैं भी ख़ुशनसीब हूँ, पर चलो तन्हा ही सही
पर मुझे हरकोई मेरी लिख़ावट से जानता है
एक पहचान है मेरी जो ता-उम्र नहीं बदली
यार मुझे आज भी मेरी आहट से जानता है-
नशा तो मुझे सिर्फ़ तेरी आंखों का ही है
अब कोई हाल-ए-दिल पूछे तो बता देती हूं,
गुफ्तगू तो करने दो इश्क़ में मरते है सब
मुझे अब शराब पर ही मरने दो!
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