हम क़िताब📚 थे, क़िताब📖 ही रह गेई,
तुम कहानी थे, और बदलते चले गये..!!
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29 OCT 2022 AT 21:31
28 OCT 2022 AT 1:34
सुबह पढ़िए..
शाम पढ़िए..
रात पढ़िए..📚
जब तक मंजिल तक ना पूछिए पढ़ते रहिए..।।-
27 NOV 2021 AT 8:47
बुरे दिनों से किया हुआ,
हमारा आज का संघर्ष...
कल अच्छे दिनों में बदल जाता है।।
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