आज रिश्तों मे मर्यादाएँ तार-तार हो रहीं हैं !
घटित घटनाओं से लगा बार-बार हो रहीं हैं !!
शर्म,हया,नजर का नजरिया भी बदल गया ,!
लूट,हत्या,डकैती, अब सरे बाजार हो रही हैं !!
रिश्तों मे अपनेपन की संवेदनाएँ मर सी गई !
सम्बंधों की परिभाषाएँ भी शर्मसार हो रही हैं !!
गांधी का देश है सबके सब अहिंसा के पुजारी !
कौन चुकाये ऋण मानवता कर्जदार हो रही हैं !!
सब लगे हैं अपनी ढपली अपना राग अलापने !
होती थी घटनाएं राष्ट्रवाद की वर्गवार हो रही हैं !!
जिसको जब जैसा जहां मौका मिलता 'केतकी'!
ये नस्लें दाऊद, माल्या सा किरदार हो रहीं हैं !!
-