हमरे भारत कय नगरीया घूसखोरियाॅ होय गय ना
घूसय लेना घूसय देना घूसय का रोजगार
कहय दारोगा सौ रूपिया दऽ तबहिं रपट लिखौबय
बिना लेहे हम जाय न देबे छतियाॅ धरी धरौबय
तोहका मालूम नाही तोहरे घर मा चोरियाॅ होय गय ना
घूसै लेना ×2
कहय वकील तू सौ रूपिया देया हाकिम का समझाई
सौ रूपिया हम बाद मा लेबे लड़ कय तोहय जिताई
अब की दावा मा दिखौबय सिना जोरियाॅ देखा ना
हमरे भारत कै नगरीया घूसखोरियाॅ होय गय ना
घूसै लेना ×2
कहय डाँक्टर अस्सी दइ दऽ अच्छी करी दवाई
सिविल सारजन से मिली कय अच्छी सुई लिखाई
तोहरे खूनवा नाही टीबी कय बीमारियाॅ होय गय ना
हमरे भारत कै नगरीया घूसखोरियाॅ होय गय ना
- स्वर श्री अवधेश नारायण पाण्डेय-
गुलिस्तान-ए-इरम अदब का शहर लखनऊ
ऐ काश मेरा भी होता ये शहर लखनऊ
जिसके जर्रे में तहज़ीब-ओ-नज़ाकत है भरी
शाम-ए-अवध का वो पुरनम नगर लखनऊ
आप नवाबजादी हो या अवध की शहजादी
मेरे दिल में भी धड़कता है जिगर लखनऊ
मेरे ख्वाबों की तशरीह अब हो नही सकती
बस नींद में ही होता है अब सफ़र लखनऊ
कल रात फ़िर इक माजरा हुआ नींद में
जिधर करवटें बदलता था उधर लखनऊ
अंदाज़-ए-गुफ्तुगू इस नफासत से है हुजूर
लहज़-ए-गुफ्तार में शीरीं है असर लखनऊ
क्यों न हो मोहब्बत उस आब-ओ-हवा से
ऐ मेरे प्यारे दोस्त ऐ मेरे हमसफर लखनऊ
ये मोहब्बत का कौन सा हिसाब है जनाब
आपने कभी बुलाया नही अपने घर लखनऊ
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रोई रोई बतावन लगे था, बोल उनका फूटा
ना चाहत भी बोल उठे अम्मा ने इतना कूटा
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂-
अंदाज़ में उसके अल्हड़पन, है अक़्ल से थोड़ी नादान सी,
है एक लड़की लखनवी लहज़े वाली, अवधी ज़बान की।
انداز میں اس کے الہڑ پن, ہے عقل سے تھوڑی نادان سی,
ہے ایک لڑکی لکھنوی لہجے والی, اودھی زبان کی !-
कहे कबीरा जग घूम के
काहे लेबो प्रान
तब जीतो तुम संसार में
जब खोबो अभिमान।
~ रोहन श्रीवास्तव
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उई बड़े लोगन की दरिया दिली
तउ तनिक देखउ साहब
रोटी दुई दिहिन हैं
और फोटू दस खिंचाईन हैं
😀🙏🏻-
जिन कय कोटेदारी बा, समझा लम्मरदारी बा
ससूरी इ घूसखोरियाॅ न, सब से बड़ी बीमारी बा-
अवधी कविता
गइया नहीं चरवइया बिना, नहीं मन्दिर सोहै पुजारी बिना
भक्त बिना भगवान कहाँ, भँवरा न रुकी फुलवारी बिना
नइया न पार कबौ लगिहैं, भव-सागर का गिरिधारी बिना
सुख चाहे रहै जेतना जग मा, घर सून लगै महतारी बिना
परवाना प्रतापगढ़ी-
इ सरकारौ अब हम का परवासी मजदूर कहत बा
जिन कै हम घर बनयै ऊहौ हम का मजबूर कहत बा
पैदल चलत चलत पैरन मा हमरे इन्हा छाला परि गैन
इहै देख कै दुःखी बा मन कइसे सबका आवत बा चैन
सारंग-