You will feel like Ashoka
and Buddha at the same time
when you'll know that death is not the end!-
If I ever got the chance to be someone from history,
I’d be Ashoka
not for the wars,
but to carve every word of my love for her
on edicts and pillars across time
so even centuries later,
the world would still read how deeply I felt ❤️-
Any number of Wars, miseries,
deaths are welcome
as long as Ashoka & Buddha are
being born out of them.
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सर कटते थे, धड़ लड़ते थे।
रक्तों से धरा सजाया है।
लड़कर युद्ध सिकंदर से।
तब जाकर अखंड भारत पाया है।
हम चंड अशोका के बेटी हूँ
और चंद्रगुप्त के पोती हूँ
इतिहास हमारा पढ़ लेना
हम सम्राटों के वंशज हैं।
सर काटते थे धड़ लड़ते थे
रक्तों से धरा सजाया है।-
कामयाबी कोई साथ लेकर पैदा नही होता ।
मंजिल के मुसाफ़िर है .
असफलता से डरकर सफर रोका नही जाता ।।
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कमाल है साहब !
आज चारों और happy mother's day का बोलबाला है। हर कोई अपनी मां का छायाचित्र (फोटो) लगाकर अपने मातृ प्रेमी होने का सबूत दे रहे हैं, मान गए भाई आप सब सज्जन लोगों को।
बेशक पूरे साल भर दूसरों को मां शब्द की गाली जी भर के देते होंगे और कुछ तो ऐसे सज्जन है जिनकी बात ही मां की गाली दिए बिना पूरी नही होती...किंतु आज वो भी मां शब्द के प्रति अगाध प्रेम दिखा रहा है।
जब तक आपके हृदय में मां शब्द के प्रति ही सम्मान नही तबतक आपका ये आडंबर( दिखावा) दूसरों को बहला सकता है किंतु आपकी स्वयं की आत्मा को नही...
मां तो मां ही होती है फिर वो चाहे खुद की हो या किसी और को, गाली तो मां शब्द के लिए ही दी गई होती है फिर आप ये कैसे कह सकते हैं कि आप मां से प्रेम करते हैं ?
यदि आप सच में ही मां शब्द को गरिमा का सम्मान करना चाहते हैं तो आज से ही प्रण लीजिए कि कभी किसी मां को गाली नही देंगे, इस आडंबर को छोड़कर सच में मां को मां ही माने क्योंकि आपका आडंबर कुछ अजनबी लोगों को तो भा सकता है किंतु जो आपको अच्छे से समझते है उनको और आपकी अपनी अंतरात्मा को नही समझा सकते।
बहुत कुछ है कहने को किंतु अधिक कड़वे शब्दों का प्रयोग नही करते हुए निवेदन है कि मां शब्द की गरिमा के लिए अच्छे बने ना कि ये दिखावे के दिनों के लिए।
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जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो तब तक रूको मत
अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ निश्चय करके चलो
छोटी-छोटी समस्याओं के आगे कभी झुको मत।।
12 जनवरी
'' स्वामी विवेकानंद जयंती'' विनम्र अभिवादन
"राष्ट्रीय युवा दिवस ''-
हमारे हक़ में मोहब्बत के साए ना जाने कहां गए
वह आए फिर ना जाने कहां गए ।।
हमने सोचा कोई मिल जाए
इस भीड़ में हमारे हमसफ़र ना जाने कहां गए ।।
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जिसे मै हर रोज़ देखना चाहूं, वो हसीन ख्वाब हो तुम
गर‘ मै आसमान हूं, तो मेरे आफताब हो तुम
जिसके ख्याल से ही मुझे नशा होने लगता है
वो बेहतरीन शराब हो तुम
और जो मेरे बजट से बाहर हो, ऐसा महंगा ब्रांड हो तुम
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