इस जीवन की आपाधापी से...
मैंने तो बस यह सीखा है...
सुख अगर मीठा है...
तो दुख थोड़ा तीखा है...
जैसे रंगोली बनाने को...
नवरंग की जरूरत है...
इन्द्रधनुष सजाने को...
सात रंग अनिवार्य हैं...
ऐसे ही,
जीवन का स्वाद चखाने को...
मीठा, तीखा दोनों स्वीकार्य हैं..
दोनों सवीकर्य हैं...
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