कैसे बतलाऊं तुम्हें अपने जज्बात ..
आंखें समझाएंगी बस एक पल में ..-
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर-
Hamara dil kharidna chahte ho
Toh munasif kimat batate hai
Ankhain uthaiye
Zra sa muskuraiye
Aur dil le jaiye
❤️❤️❤️-
तिरछी नजरों से मुझको इशारा ना कीजिए
इन अदाओं से जुल्फ़े संवारा ना कीजिए
क्या- क्या कहेंगे लोग खबर है आपको,
गैरों के सामने मुझे यू पुकारा ना कीजिए।।-
मोहब्बत का सिला,
बहुत ज़ालिम दिया तूने।
आँखों में बरसात का..
तौहफ़ा दिया तूने।
जी लेते तेरे तौहफ़े के सहारे..
पर,
जीने की कोई..
वजह कहां दी तूने।
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तेरी आंखो को अगर मै नीलकमल कह दू।
जल जाएगी ये दुनियां जो तुझपे गज़ल कह दू।।-
जब साथ थी तो,
कहती थी तुम्हारी आँखें
बहुत खूबसूरत हैं...
कोई भी देख कर खो जाये,
एक सवाल हैं....
मेरी आँखे बदसूरत हो गई,
या तुम्हारी नज़रिया
जो साथ छोड़ कर चली गई....
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एक बार हमने तुम्हें नजर भर के देख क्या लिया..
अब तो इन आँखो मे किसी और कि तस्बीर ही नहीं बस्ती..।।-