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24 DEC 2017 AT 4:48






বাড়ছে আঁধার।
ইষ্টদেবতা দিলাম তোমায় ঝাঁঝালো ধূপের নির্যাস।
পোড়ালাম তেলচিটে প্রদীপের বুক,
আমার অসুখ!!
দিনে দিনে বাড়ে জ্বর,
থরথর!! কাঁপে আঙুল, কাঁপে প্রার্থনা।
আর্তনাদ!! মিশেছে গুমোট ঘরের চারপাশ।
দূর্বাঘাশ, বেলপাতা,ফুলের ডালি।
কিছুই বাদ নেই।ইন্দ্র, শৈব,কালী,
বনমালী!!তোমাদের স্বাদ নেই।
চেটেছি প্রসাদ অমৃত ভেবে,
মরীচিকা ভ্রম মনে।
শাস্তি যা পাবার পাচ্ছি আসলে,
প্রতিদিন ক্ষণে ক্ষণে।



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24 DEC 2019 AT 18:21

अजीब लड़की है, नाराज होके हसती है

मैं चाहता हूं, ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे!


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28 FEB 2021 AT 12:53

तू चल ना देना मुझे छोड़ कर
मेरे हमसफर'''''

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26 MAR 2019 AT 12:36

बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह।

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7 JUN 2021 AT 17:25

यह शहरों को क्या हो रहा है।
हर व्यक्ति गंदे वातावरण में सो रहा है।।
धीरे-धीरे हर पंक्षी लुप्त हो रहा है।
मनुष्य भी अब संसार से मुक्त हो रहा है।।
अब तो वैज्ञानिक भी संसाधन चांद पर ढो रहा है।
मालूम नहीं कौनसी कल्पना के शहर में खो रहा है।।
शायद अब आकाश रतन भी रो रहा है।
क्योंकि धरती से पानी खत्म हो रहा है।।
यह सागर भी अब नीलाम हो रहा है।
पवित्र नदियों के आंसुओं में सो रहा है।।
परिवारों में अब हिस्सा बट रहा है।
जिसके कारण आंगन का पेड़ कट रहा है।।
किसान को धन मिला तो खेत रोड़ हो रहा है।
अब बिन हरियाली के मनुष्य को कोड हो रहा है।।
पेड़ों को काटने से ऑक्सीजन का पतन हो रहा है।
तभी तो बिन बीमारी के मनुष्य यूं ही दफन हो रहा है।।
सांसो के लिए अब मानव दर-दर भाग रहा है।
धन होने के कारण भी रातों को जाग रहा है।।
कोशिश करो यारों अभी भी समय बच रहा है।
सुंदरलाल बहुगुणा बनकर कोई इतिहास रच रहा है।।

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2 MAY 2022 AT 14:32

आॉंसमा पे ईश्वर,
धरती पे माॅं-बाप ।
झेलें जो,संतान की
खातिर सब संताप।।

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29 APR 2022 AT 5:39

थप्पड़ों की गुंज

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10 AUG 2021 AT 7:47

लोग आपसे दूर तब होने लगेंगे,
जब उनकी जरूरतें आपसे पूरी होने लगेगी....

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16 SEP 2020 AT 23:46

If u realise anyone u r there by your quality it may be more impressive 👑

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20 OCT 2023 AT 12:44

क्यूँ डरें....

जिंदगी में जाने क्या होगा?
कुछ ना होगा, तो तजुर्बा तो होगा..

अगर आप जिंदा हैं तो
आपको वक्त के साथ बदलना चाहिए।

दिनों में तुम अपनी बेताबियां लेकर चल रहे हो तो जिंदा हो तुम।
नजर में ख्वाबों की बिजलियाँ लेकर चल रहे हो तो जिंदा हो तुम।
जो अपनी आंखों में है हैरानियां लेकर चल रहे हो तो जिंदा हो तुम!

मैं दुश्मनों से भी खुद्दारी की उम्मीद करता हूँ
सर किसी का भी हो
कदमों में अच्छा नहीं लगता।

_जावेद अख़्तर✍️

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