अाज फिर दिल के किसी कोने से अवाज आई है,
दर्द के समंदर में दिल ने फिर से डुबकी लगाई है,
छुपा कर रखा जिस दर्द को
समंदर कि गहराई में
वो आँखो से मोती बनकर बाहर आई है.....
दिल रोया, आँखें भीगी, जुबान पर खामोशी सी छाई है,
ना किसी से दर्द बयां कर सकती ना कोई समझ सकता दर्द की कितनी गहराई है....
पत्थर बना रखा था जिस दिल को,
बाँध रखा था जिस मन को,
आज वो बर्फ की भाँती पिघल गयी
और उस पर यादों की कस्ती उतर आई है....
अजीब सी कश्मकश है,
पता है जिंदगी में नही है वो
फिर भी दिल ने आस लगाई है,
उसे ना पाने देने को खुदा ने ही तो हाथों मे लकीर बनाई है,
आज फिेर दिल के किसी कोने से अवाज अाई है ....
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