*शोर*
बहोत ही भयावह शब्द है
अगर ये बाहर हो तो आप इस्से बच सकते हैं
खिड़की ...दरवाजे बंद कर बैठ सकते हैं
*लेकिन*
यही शोर अगर आपके अंदर हो तो
*सोचिये जरा*
सब कुछ खत्म कर देता है
आप शून्य में चले जाते हैं
एक ऐसे गर्त में.....
जहाँ से निकलना फिर मुमकिन नहीं
ये शोर अंदर तो चलता रहता है
दिन रात........
लेकिन बाहर एक खामोशी छा जाती है
हमेशा..........हमेशा के लिए
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