मोल-भाव की कला के महारथियों से एक प्रश्न
क्या कभी आपने अपने विवेक से ये सोंचा है
अपनी जेब में पड़े चंद पैसे बचाने के ख़ातिर,
आपने एक गरीब के मुँह का निवाला छीना है,
माल व फ़िक्स्ड प्राइस शॉप में बेहिचक उड़ाया है,
तो बचत का ठीकरा इन ठेलेवालों पे फोड़ दिखाया है,
सड़क पर भद्दर गर्मी, हाड़ कँपाने वाली सर्दी,
मूसलाधार वर्षा में अपनी मुफलिसी से जूझते
इन मज़बूर गरीबों पर अपनी कला का जौहर
बड़ी बेशर्मी से सीना फुलाकर आज़माया है
दो जून की रोटी कमाना जिनकी रोज़ की मशक्कत है,
उनके हालात पर क्या तुमको कभी तरस नहीं आया है,
अगर कभी आया है तो एक संकल्प आज ही लो
बस इन ठेले-व-रेड़ीवालों से चंद सिक्कों की ख़ातिर
मोल-भाव की कला को कुछ पल के लिए विराम दो 🙏
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