रास्ते आसान हुए तो फिर मज़ा कैसा ....
अरे भाई! जब हौसलों में जान होगी ....
तभी तो लम्बी उड़ान होगी ....-
...wo wapas apne hostel k room ki taraf jane lagi or is wqt apne baba- mumma ki sari batein yaad krne lgi, ki dunia me koi bhi esa insan nhi h jispr trust kia ja sake bhle hi wo apka best friend hi kyu na ho .Trust krna h to sirf khud pr kro kisi dusre pr nhi....wo bht ro rhi thi is wqt
Tbhi ek call aati h jisse usey pta chlta h ki Jack ab dunia me nhi rha 😢😢
Uska accident ho gya 2hrs pehle...
Ye sunkr uske pero k niche se zameen hi nikal gai ho jese, wo bht chilla chilla kr rone lgi mgr aaj usey chup krane k liye uske pas Jack jesa koi ni tha,use kuch smjh ni aa rha tha ki wo kya kre or kya na kre ...
Time guzarta gya present time me Perry ek qabil Dr. H, or aaj bhi wo whi watch pehenti h jo Jack ne last birthday pr gift ki thi....-
बचपन मे जैसे किया करते थे ,
एसे ही अपना बना लिया ,
एक टोफी के दो टुकड़े करके,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
जेब मे होते हुए भी पेन ,
हर रोज तुम से ही ,
पेन मांगा करते थे,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
दिल मे तो तुम ही थे,
सिर्फ जलाने के लिए,
जिक्र किसी और का करते थे,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
उस दिन रूठे थे तुमसे,
ओर दुर भी भाग रहे थे,
सता नही रहे आँसु छुपा रहे थे
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
बड़े जातिवादी थे,
जब से तुझसे मिले,
सब भुल गए हम,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
हर रोज एक ही जगह ठहरे,
फितरत न थी ऐसी,
और अब वही ढूंढते है तुझको,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
तुने औकात मे रहने को कहा,
औकात एक छोटी चीज है,
हम उसे नही रखते,
जब तुम मिलोगे तो बताएंगे।
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मैं एक ऐसी कहानी हु,
जहा सभी किरदार मेरे ही लिखे हुए हैं!
शुरुआत भी मेरी, अंत भी मेरा!!-
जितना समय आपके पास आज हैं
उतना कभी नहीं होगा
-The Prashant Saini
(BBA, CIDM)-
तेरा इश्क अगर सच्चा था
तो तू मुझसे दूर गई ही क्यू
चलो मान लिया मेरी गलती
तुझे समझ ना सका
तुझसे इजहार ना कर सका।
पर किसी और को चाहता हूं
ये तुझसे किसने कहा।
प्यार करती थी ना मुझसे
तो इंतजार तो किया होता ।
थोड़ा ही सही प्यार तो किया होता।।
अपना सब कुछ निसार तो किया होता ।
कैसे सोची की न कह दूंगा मै तुमको।
एक बार मुझसे इजहार तो किया होता।
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सच की जीत
आज प्रसाद भवन में सुबह से बहुत चहल पहल है। रीता प्रसाद जी की बड़ी बेटी रुचि को देखने लडके वाले आ रहें हैं। रीता जी सुबह से उन्हीं लोगो के स्वागत के इंतजाम में लगी हुई हैं उधर रुचि अपने कमरे में गुमसुम उदास बैठी है जैसे उसे कोई खबर ही न हो ।
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