पानी सी बहती में,
बर्फ सी जम गयी हु आज!
तारों सी चमक जो थी,
टूटता तारा हो गयी हु आज!
बादलों को देखकर मुस्कराती में,
दर्द के बादल में बंध हु आज!
बिजली को देखने दौड़ती में,
गिर गयी हु ज़ोर से आज!
बारिश मे भीगने वाली में,
अक्ष से भीग गयी हु आज!
आसमानों मे उड़ने के सपनें ले,
घर में ही खो गयी हु आज!
अपनों के लिए समझोते करने पर भी,
अपनों से ही दूर हो चली हु आज!
पानी सी बहती में,
बर्फ सी जम गयी हु आज!
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