अच्छा हे की रिश्तो का कब्रिस्तान नहीं होता,
वरना जमीन कम पड़ जाती|-
3 APR 2021 AT 21:41
ग़ज़ल:
कुछ भी तेरे बाद नहीं है,
ये तक तुझको याद नहीं हैं
इश्क़ मकाँ है गिरने वाला,
जज़्बे की बुनियाद नहीं है,
तेरा होना हक़ है मेरा,
ये कोई फ़रियाद नहीं है,
दिल जंगल तो बंजर है अब,
गोशा इक आबाद नहीं है,
एक जहाँ में कितनी खुशियाँ,
लेकिन कोई शाद नहीं है,
शेर कहा करता था मैं भी,
पर अब कुछ भी याद नहीं है,
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1 FEB 2021 AT 15:59
थके बैठे हैं अब,इस ज़िन्दगी से हम
नहीं उठता बदन से बोझ साँसों का
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16 MAR 2020 AT 20:53
मिलते हैं मेरी जान तुम्हीं से बदन बग़ैर,
अपना लिबास ए जिस्म उतारे हुए हैं हम,
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13 SEP 2021 AT 11:00
एक रस्सी है गले में और मैं हूँ सोच में,
ज़िन्दगी से भागकर मैं ख़ुदकुशी कैसे करूँ?
लोग कहते हैं कि तुमसे शेर अब होते नहीं,
दर्द से फ़ुर्सत नहीं है शायरी कैसे करूँ?-
11 AUG 2019 AT 0:47
आसमान के पार कोई जहान मिले
इस छत के नीचे तो दम घुटता है
- दीपाली-
18 SEP 2019 AT 21:22
उस मुसव्विर के हुनर को देखकर,
रंग ख़ुद में भर लिए तस्वीर ने ,-