कहानी से अलहदा उन्वान अच्छा नहीं लगता
हद से ज़्यादा बदला इंसान अच्छा नहीं लगता,
अपनी क़लम से करता हूँ अदब की परवरिश
यहाँ बेहुदा, बेतुका ज़बान अच्छा नहीं लगता,
तुम जो बैठे हो तख़्त पे, तो हम भी ज़रूरी हैं
हर बार ऐसा-वैसा फ़रमान अच्छा नहीं लगता,
हर रंगों से मिलके बनता है अपना हिन्दुस्तान
महज़ सब्ज़ या ज़ाफ़रान, अच्छा नहीं लगता,
इस बार साहेब, झुक जाओ मान जाओ तुम
ये सड़कों पे बैठा किसान अच्छा नहीं लगता।-
जिन दहशतगर्दो के रंग अलग हैं
उनके तमाम ग़ुनाहों की माफ़ी है,
और तुम जो ठहरे ज़बाँ उर्दू वाले
तुम्हारे लिए प्रेशर कूकर काफ़ी है।-
चमन में हवस ऐसे लह-लहाने लगे हैं
अब तितलीयों को भौरें चबाने लगे हैं,
वह वहशी बुझा गया फिर एक दीया
और लोग मोमबत्तीयाँ जलाने लगे हैं,
उधर रोज़ एक ख़ुदकशी पर तब्सिरा
इधर मुर्दे ख़ुद को ही दफ़नाने लगे हैं,
मईशत का कोई क़ायदा ना कानून है
महज़ हम खाली बर्तन सजाने लगे हैं,
परिंदो को थका के, पंखो को काट के
साहब बड़े शौक़ से मोर नचाने लगे हैं,
हमारा चौकीदार इतना कमज़ोर कैसे
पड़ोसी सुलह की दीवार गिराने लगे हैं।-
चुनाव निष्पक्ष होना भी चाहिए,
और निष्पक्ष दिखना भी चाहिए,
ये दोनो बातें..
एक तंदुरुस्त लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है।-
यात्रीगण कृपया ध्यान दें!
गाड़ी संख्या UP-2022 अलीगढ़ टू हरिगढ़
वाया विधानसभा होते हुए कुर्सी तक जाएगी।
धन्यवाद!-
तुम्हें ज़ुल्म सहना होगा, और चुप भी रहना होगा,
हालत जो भी हो 'मेरा भारत महान' कहना होगा।-
Unhe pehle se hi ilm tha aaj ke halaat ka.
Yehi chahat thi unki, isliye khamosh hai zubaan.-
When a nation's students are being targeted by the government.
Then they are vulnerable to education and the fire they possess inside.
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I vehemently condemn the violence at JNU today. It is heartbreaking to witness such an attack on students. What has our nation come to!!!
BLACK DAY FOR DEMOCRACY.-