QUOTES ON #QUARANTINEDAYS

#quarantinedays quotes

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27 MAY 2020 AT 20:38

फर्क नहीं पड़ता दुनिया में भले फैली महामारी है,
मगर हमारे यहाँ उस पर सियासत करना, हमारी जिम्मेदारी है ।।

फर्क नहीं पड़ता यहाँ कौन बचा यहाँ कौन मरा,
मगर एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाना, हमारी जिम्मेदारी है ।।

फ़र्क नहीं पड़ता कौन पैर छाला हुआ, क्यों वो पैदल चला,
मगर "हम तुम्हारे साथ है" कहना, हमारी जिम्मेदारी है ।।

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मेरी माँ आज बहुत परेशान है,
दर्द में है और होठों पर ऊपरवाले का नाम है,।
सुबह,शाम दीया दिखती थी जिस भगवान को
कहाँ है वो,जो दिखता नही आसपास है।

संभालूं कैसे अब इस धीमा पड़ती धड़कन को
फिजाओं में साँसें के लिए हवा बहुत कम है।
अपनों से दूर,अपनी साँसों को बांधते हुए,
आज ये बेटा दिखता बेबस और बीमार है।

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25 MAR 2020 AT 19:30

Ek ajab Manzar hai ye Saaki
Mere Gunahu Ka musalsal silsila
Gunnahu Kai badlai aur Gunnahai
Fakt yahi likha hai kya mere kismat mai

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4 MAY 2020 AT 8:53

अल्फ़ाज ही नहीं है
बस यादें ही है जो
पल भर में हँसाती हैं ,
तो पल भर में
हमे रूला देती हैं
अल्फ़ाज ही नहीं है |

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3 APR 2020 AT 21:12


सीमायें सुनसान पड़ी हैं,
सरहद पे सन्नाटे है,
सांसो के इस जंग में कितने,
मेरे अपने जख्मी हो गये हैं,
वक्त ने क्या करवट बदली है,
जो घर जाने को तरसते थे,
अब घर में कैदी हो गये हैं ।

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14 MAY 2020 AT 22:13

कैसे कटता है ये वक़्त, सबकुछ पहले जैसे हो जाने के इंतजार का।
लगती पतझड़ सी हैं ये ज़िन्दगी और ख्याल हैं बहार का।

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2 MAY 2020 AT 22:15

कुछ पल का साथ ही तो मांगा हमने
यू मौन होने की क्या जरूरत थी ?
कह देते हमसे मंजूर नहीं हमारी मांगे
दूर हो जाते हम खुद ही तुमसे ,
युही मजबूरी का नाम लेकर
यू मौन होने की क्या जरूरत थी ?


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25 MAY 2020 AT 23:57

अगर - मगर की बातें छोड़ो
दिल से दिल का रिश्ता जोड़ो ,
हो ना फांसले कभी
ऐसा अटूट विश्वास रखो,
कि चहरे की खामोशी
पढ़ने का हुनर ये खास रखो
अगर - मगर की बातें छोड़ो |

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15 MAY 2020 AT 9:40

आपसे कैसे मिले हम यही सोचा करते
पर करे भी तो करे क्या ? जब आप ,

हमसे मिलना ही नहीं चाहते ...
ये इश्क़ की वादि हैं जनाब,
आपसे अपने ख्वाबों में रोज,
हम मिला लिया करते है और

ख्वाबों को हकीकत करने की दुआ करते ,
आपसे कैसे मिले हम यही सोचा करते !

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14 MAY 2020 AT 19:45

सुबह का गुस्सा मुझको समझ नहीं आता
दिल की बात जुबा पर ला नहीं पाता,
खुशी के पल भी दुख देने लगते हैं जब
सुबह की आँखें भी कुछ नहीं बोलते,
कुछ अरमान भी अधूरे रह जाते हैं
दिल की बात जुबा पर ला नहीं पाता,
जब सुबह का खुशी भी समझ नहीं पाता
बहुत कुछ बोलकर भी जब
पूरा नहीं कर पाता .......
अब तो सुबह की उम्मीद
एक नयी किरण ही है सबकुछ |


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