किस दौर का कानून मिला उन बूढ़ी आँखों को
ऐसी सज़ा देने का ये लोग कहाँ से ऐलान ले गये
आखिरी साँस से पहले ही मुस्कान छीन ली गई
गेरूआ कपड़ों का मान तो दूर बेरहमी लोग जान ले गये
वो ख़ाकी वर्दी के पीछे बार-बार छिपता रहा मगर
कानून के लम्बे हाथों से छीनकर उसे इंसान ले गये
कुछ फ़ायदा ना रहा भविष्य की बनाई गई सूची का
छिनकर उजाला उसकी आँखों से आज शाम ले गये
मेरी सरकार ठहरकर सम्मानित करेगी उन दरिंदों को
या उस रात वो अपने बनते काम का दाम ले गये
बेनाम उन दुष्टों से कहो उनकी आत्मा वहीं भटक रही होगी
भले ही लोग झाड़-पोंछ कर सारा सामान ले गये-
Mai gareeb hu bhukhe pyase marjata hu
Mai gareeb apno ki rah takte marjata hu
Mai gareeb hu choti bimariyo se marjata hu
Mai gareeb hu aapni hi krodh se marjata hu
Mai gareeb hu sari bimariyo ko mai palta hu
Mai gareeb hu inn duniya dari se marjata hu
Mai gareeb hu shak ki nigaah se marjata hu-
अब हुआ मालूम कि,
ये सरकारें क्यों नहीं सुनती है,
कि जिसके हाथ भी लठ आता है,
बहरा ही, हो जाता है
©drVats-
एक दहशतगर्दी और
आह !, ये क्या हो गया है,
कौन है!, सरकार क्या कर रही !
मौन दर्द ! शब्दहीन शून्य रह जाता है !
दुःख और दहशतनुमा सन्नाटे में भी फर्क है ।
जब तक अखबार के पन्नों पर अपना खून नहीं होता,
तो, स्थिति, उतनी भयावह नहीं लगती, डर नहीं लगता है।
और चंद लोगों को बिठाकर, सरगर्मी भरी बातचीत हो जाती है !
#PalgharMobLynching 😢
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,बेकसूरों की हत्या से,
प्रवचनों में नहीं, क्रिया रूप में भी शांति-सद्भाव चाहिए-
साधू -संतों पर ये कैसा अन्याय
दोषियों को सजा मिले तब होगा न्याय
अफ़वाहों के बाजार में जिन्दगीयाँ कुर्बान
जाहिलों की दुनिया में इंसानियत शर्मसार
कानून भी देख रहा था तमाशा
छोड़ कर भाग खड़े हुए ,
तो क्या रखें कोई इनसे आशा ।।।
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चोरी की झूठी अफ़वाह फैलाकर रचा गया षड्यंत्र,
दो दिव्य संतो को भीड़ ने मार डाला पीट-पीटकर-