"अभि की दुल्हनियाँ"
कुछ साल बाद जब मांग पे सिंदूर आँखों में काजल माथे में टीका और लगाके आएगी चुनरियाँ।
देखके उसको दाँतों तले उंगली दबाएगी ये सारी की सारी दुनिया जब देखेगी अभि की दुल्हनियाँ।
जब वो बन जाएगी मेरी दुनिया और ज़्यादा आएगा मज़ा मोहब्बत का जब वो बन जायेगी मेरी दुल्हनियाँ।
मेरे अँगना में छनकाएगी वो पैजनियाँ सब बोलेंगे कि करोड़ो में एक है अभि की दुल्हनियाँ।
सारे दिन की तकलीफें मेरी हो जाएँगी दूर और दूर हो जाएँगी सारी दूरियाँ प्यार से एक बार जब हो जाएगा दीदार उसका जब दिख जाएँगी मुझको मेरी चन्दनियाँ।
हर दुख हर दर्द हो जाएंगे गायब और छूमंतर हो जायेगी हर परेशानियाँ जब तक साथ रहेगी मेरी दुल्हनियाँ।
साथ रहेंगे हरदम दोनों दूर रहेगी सारी दूरियाँ पाकर सबकी दुआएँ और प्यार हो जायेगा सुखी और सुंदर हम दोनों का संसार।
कभी न झगड़ेंगे दोनों बस बरसायेंगे एक दूजे पर प्यार।
सोच रहा हूँ जब आ जायेगी वो पास मेरे तब उड़ जाएंगी मेरी आँखों की निन्दिया बस यही सोच हो जाता हूँ खुश कि आज नही तो कल ज़रूर बनेगी वो अभि की दुल्हनियाँ। 'अbhi:एकतन्हामुसाफ़िर'-
❤️Dear Future Hubby❤️
I Hope You Will Accept My Proposal Without Making Me Wait-
"Because, it's unplanned."
"Just that?"
"We aren't ready yet."
"As if we were ready for marriage."
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Marriage is just like watching baking and cooking videos on social media.
It all seems easy and glorious until you have to do it yourself.
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तेरे झुमके संग , मेरा दिल भी झूल रहा है ।
लेकिन अच्छा है , इसी बहाने तेरे गालों को चूम रहा है ।
तेरी पाजेब के साथ , मेरी धड़कन भी थिरकती है।
लेकिन इसी बहाने , मेरी सांसे तो चल रही है ।
तेरे नाक़ की नथनी , जो तुम्हारे नखरे उठा रही है ।
लेकिन इसी तरीके से , मेरी ख्वाहिशें जता रही है ।
तेरा मंगलसूत्र , जो गले लग शोभा दे रही है ।
लेकिन अच्छा है , तुझे मेरा हमसफ़र बता रही है ।
तेरे नगीने वाली अंगूठी , मेरे आंखों में चमक ला रही है ।
लेकिन , मेरे जीवन के हर लम्हे को दमका रही है ।
तेरी चूड़ियां , जो कलाइयों को थामे हुए है ।
लेकिन अच्छा है , मेरे जीवन को खनका रही है ।
तेरी बिछिया , जो क़दमों को चूम रही है ।
अच्छा है मेरे दिल-ओ-जहां , में दस्तक दे रही है ।
तेरी मेंहदी , जो हथेली को मेहका रही है ।
लेकिन मेरे ज़िंदगी को , प्यार के रंग से सजा रही है ।
तेरी ओढ़नी , चांद से मुखड़े को सजा रही है ।
लेकिन अच्छा है , लोगों कि नज़र से बचा रही है ।
तेरा सिंदूर , जो तुझे और भी मोहक बना रहा है ।
लेकिन अच्छा है , तुझपे मेरा ही हक बताता है ।
-anuradha sharma
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गौर कीजिएगा ,
कीमती अल्फाजों को ।
बाज़ार से सारी रौनकें ख़रीद लाएं ,
दौलत शौहरत ,
गहने ज़ेवर ,
माशाअल्ला !
कायनात स चुना था ,
निकाह का जोड़ा ।
कमी कहां ,
पर ख़ाली ,
कुछ तो ,
रवां उसके भीतर ,
जज़्बात भरे थे ।
पर सुनने वाले ,
खलिश को भरने वाले ,
शून्य लोग थे ।
सारे ऐश-आे-आराम थे ,
पर जान भरना भूले थे ।
क्या पुतली को विदा किए थे ?
---Anuradha Sharma
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