“Pay the worker his dues before his sweat has dried up”.
-Prophet Muhammad-
अपनी झोंपडी में बैठे बच्चों को दो वक़्त की रोटी खिलाने के लिये......
अपने खून से दूसरों के आशियाने बनाता फिरता है दर ब दर-
कैसे गुज़ारा होगा उस मज़दूर ने आज का दिन
जिसके नाम पर सारी दुनियां छुट्टी मना रही हैं।-
" श्रमिक हूं ....श्रम से परिश्रम तक की परिभाषा लिखता हूं "
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--- --- काव्यांजलि --- ---
--- --- अनुशीर्षक में पढ़िए --- ----
जिंदगी “मजदूरी” करते हुई गुजर रही है..!!
और
लोग “डॉक्टर साब” कहकर ताने मार रहे हैं..!-
एक रोटी की कीमत उनसे पूछो,
जो जलती धुप में पसीना बहाता है
जिनके हाथों में फूलों की जगह छाले हैं
जिनके माथे पे शिकन है,
एक रोटी की कीमत उनसे पूछो।।
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देखकर लोग मुझे कहते है मजदूर हूं में,
कहते देख हाथों पैरों को मेरे नशे में चूर हूं में
इस दुनिया के ताने बाने सुनने को मजबूर हूं में
दे नहीं पाता अपने बच्चो को ऊँची तालीम
क्योंके मजदूर हूं में.......
सहता रहता दुःख तकलीफें फिर क्यों इतना कमजोर हूं में
हू प्रबल फिर भी क्योंके इस आदत से चूर हूं में
आती है 1 मई जब तब इस दुनियाभर में मशहूर हूं में
क्योंके दोस्तों मजदूर हूं में......
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🌺🌺विश्व श्रमिक दिवस के अवसर पर दुनिया के मजदूरों को शुभकामनायें......
जिसके हाथों से बनकर महल इतराते हैं,
महलों वाले एक दिन उसी से कतराते हैं।
काम का रूप भले ही अलग-अलग हो,
श्रम करने वाले सब मजदूर कहलाते हैं।
हर रोज राह की तलाश में भटकता है वो,
जिसकी मेहनत से दुनिया के पथ बन जाते हैं।
मजदूर सदा पिसता रहा अपना हक खोकर,
सदियों से मजदूर कीड़ों की तरह कुचले जाते हैं।
.......सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'-
सारा वर्ष व्यतीत होता है अज्ञातवास में
बस श्रमिक दिवस का भ्रम है प्रख्यात हुँ मैं
" एक श्रमिक "-