Rishabh cholkar   (ऋषभ दीपा चोलकर)
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@rishabh choolkar
रमताजोगी
Joined 29 April 2017


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26 APR 2018 AT 2:38

हमें जो मिली ज़राहत
तो मिली थोड़ी राहत

दिल हुआ आहत!
सिर्फ़ तुम्हारे बाबत

होना था जो हो गया,
सच थी क्या वज़ाहत

दिल था तुमको दे दिया
मानी तुम्हारी इजाज़त

फिर होना क्या था...!!!
थोड़ा तड़पे ज्यादा रोये
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कहा फिर...
वाह रे वाह तेरी मोहब्बत

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20 MAY 2017 AT 20:28

चलो आओ दोस्त हम अपना बचपन जी लेते है।
तुम चक्का चलाओ हम पीछे रह लेते है।
तुम ही बैटिंग कर लो दोस्त हम बोलिंग कर लेते है।
चलो रूठ जाओ फिर से तुम आज दोस्त हम मना लेते है।
ऐ दोस्त चलो हम बचपन जी लेते है.....
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14 MAY 2017 AT 12:17

देखकर उसका स्नेहास्पद नजरो से मुझको अपने कातिलाना अंदाज़ में,
ये दिल विवादास्पद हो जाता है कहता है प्यार मत करना फिर पता नहीं क्यों हास्यापद हो जाता है।

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14 MAY 2017 AT 12:13

मैने कहा सभा में माहौल हास्यापद हो गया।
उसने कहा सभा में माहौल विवादास्पद हो गया।
भरी सभा में जब उसने लोगो को देखा अपनी संदेहास्पद नजरो से
समां फिर से हास्यापद हो गया।😂😉

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7 MAY 2017 AT 1:47


क्षण क्षण वो राहें चलता है,क्षण क्षण वो आगे बढ़ता है
नाम भारत माँ का लेके,दुश्मनो से वो लड़ता है।
अपनी जान का क्षण भर न उसे भय है।
सुपुत्र वो भारत माँ का,वही तो अजय है।
दुश्मन के वो छक्के छुड़ा दे,उनको तो वो राख़ बना दे।
देश के लोगो के लिए,वतन की वो साख़ बढ़ा दे।
देश की रक्षा के लिए वो काल से भी लड़ जाये।
भारत माँ का बेटा है वो तो देश का कर्ज चुकाये।
चलो हम भी आज प्रण ले देश को आगे बढ़ाये।
आगे बढ़ते जाये हम आगे बढ़ते जायें।
भारत माँ के पुत्र है हम आगे बढ़ते जायें।

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29 NOV 2017 AT 21:31

तुम्हारे हाथ में हाथ लिए इस "चाँदनी" रात में चल पड़ा हूँ मैं

जुदा न होना सनम इस "ज़माने" से लड़ पड़ा हूँ मैं

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28 NOV 2017 AT 1:03

आज फिर उनकी नरगिसी आँखों का दीदार हो गया
हमें उनसे ही फिर एक बार प्यार हो गया

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28 NOV 2017 AT 0:24

मैं भूल के यादें सारी एक रात बसा रहा हूँ।
उनमें बस ख़्वाब बस ख़्वाब सजा रहा हूँ।

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26 NOV 2017 AT 19:52

वो शहीद हो गए तुम्हें बचाने में
तुम शदीद हो गए उन्हें भुलाने में

वो कट गए सर उनके झुकाया नहीं
तुम क्या मतलबी हो गए ज़माने में

तुम भूल के भटक गए हो लक्ष्य से
वो जो भटके नहीं परवाने थे

वो कुर्बानी तुम याद कहाँ करोगें उनकी
तुम तो व्यस्त हो किसी न किसी बहाने से

वो ज़िंदा रहे तब तक लड़ते रहे दुश्मन से
तुम नापाक हो डर गए हो ज़माने से

वो नया ट्रेंड गीदड़ भक्ति का शुरू कर दिया तुमने
गर शेर हो भारत माता के तो फिर दहाडो ज़माने में

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25 NOV 2017 AT 21:35

महताबी नगरी में भी वो आफ़ताब बसते हैं
जुगनुओं से होड़ करने वो महताब रचते हैं।

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