इक तेरी तलब छुड़ाने के लिये मैंने..
"चाय" को तलब बनाया है।
तेरे घर की तरफ तक न जाऊं इस लिये मैंने
"तलब" को ही अपना घर बनाया है।।
✍️राधा_राठौर♂-
ख़्वाबों के शहर में
सपनों को टूटते देखा है मैंने।
नसीब के चोट से
हुनर को मात खाते देखा है मैंने।
जबतक लकीरें साथ दे रहीं है
काबिल कहलाओगे तुम यहाँ।
वरना उम्र ढलने के साथ
हाथों से लकीरों को मिटाते देखा है मैंने।-
MANA KE THODA FARK HAI ...
TERI MERI LAMBAI MEEE...
WO BHI EK LAGNE LAGEGI...
KABHI MIL TO ZRA TANHAI MEE..
TERE KANDHE TAK MERA KANDHA ...
NHI AATA MERI JAAN TO KYA ...
MERA YE KAD LE JATA MUJHKO...
TERE DIL KI GEHRAYI MEE..
#RADHIKA RATHORE #
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तेरी दूरियों नें यूँ मुझे बेचैन कर डाला।
तेरे ख्वाबों ने मेरी नींद को बेचैन कर डाला।
ये तेरा चैन मेरे चैन से आकर मिला है यूँ...
बेचैनी ने तेरी मुझको हाँ फिर बेचैन कर डाला।।
✍️राधा_राठौर♂-
Maine kb bola h tujhse,
tu v mujhse pyar kar,
Ho sake to yaad rakh,
man kre to baat kar,
Kaafi h jeene ko jana mere,
ya to mere pass rah,
ya khudka tu khyal rakh,
Magar swal h ek aur bhi,
jabab doge ya fir chal,
Tu hi koi swal kar..-
जबाबों में भी अब...
सवाल बन के आती है...
वो ख्वाबों में भी...
ख्याल बन के आती है...
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अबके सावन भी क्या खुब आया है
कभी बारिश बरसती है तो
कभी आखें बरसती है ..‽
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खुद के ख्यालों से फुर्सत कहां,
किसी और के ख्यालों में खो जाऊं..
पर एक तेरा ख्याल है जिसमें खोने को बेताब हूं,
और यु खोया भी लाजवाब हूं....-
उलझ कुछ इस तरह से गए...
हम उनके ख्वाबों-ख्याल में...
कि अब अंतर मालूम ही नहीं ...
अफताब और मेहताब में...-