कलियुग की माया...
कलयुग बीज बनकर आया था,
तुमने उसको बो दिया।
वह धीरे-धीरे बढ़ गया है,
तुमने उसको सींच दिया।
जड़ें इसकी फैल गई हैं,
रोक न उसको तुम पाओगे।
वह तो पृथ्वी में समा गया है,
ऐसे न उसको नष्ट कर पाओगे।
काटना इसको है बहुत सरल,
यह तो क्षण भर में कट जाएगा।
तब असहाय तुम हो जाओगे,
जब यह दोबारा उग जाएगा।
काट दो इन दूर तक फैली जड़ों को,
अभी भी समय है ।
यदि और दूरी यह फैल गई,
तो आने वाली प्रलय है।-
बुराई का स्वरूप...कलियुग
क्यों बुराई ने तुम्हें घेर लिया?
क्यों अच्छाई से मुंह फेर लिया?
ऐसा क्या हुआ जो तू अच्छाई से इतना दूर हो गया?
क्या सत्यमार्ग पर चलकर जीवन चकनाचूर हो गया?
क्यों बुराई का स्तर इतना बढ़ गया?
क्यों अंतर्मन में अच्छाई का स्वरूप मर गया?
क्यों क्षणभंगुर आकर्षण के लिए जीवन नष्ट कर रहा है?
सही मार्ग पर आया था, स्वयं को क्यों पथभ्रष्ट कर रहा है?
क्या विशालकाय पर्वत-सी चुनौती आ खड़ी थी?
क्या अत्यंत संकट की घड़ी आ पड़ी थी?
क्यों इस गुफा में घुसता जा रहा है?
क्यों इस चक्रव्यूह में फँसता जा रहा है?
क्या इस विचित्र मार्ग में इतना सुख है?
संभल जा! यह अनैतिकता पूर्ण स्वरूप ही कलयुग है।
अपने आदर्शों-संस्कारों को पीछे मत छोड़।
कलयुग से अनोखा संबंध मत जोड़।
चीरकर तुम्हें तेरे ही अंदर आ जाएगा,
परिवर्तित कर तुम्हें, कलयुग अंतर्मन में समा जाएगा।
तुम्हारे जीवन का अमूल्य समय व्यर्थ कर देगा,
मानवता व ईमानदारी के लिए असमर्थ कर देगा।
भ्रष्टाचार, बुराई और नाश कलियुग के लक्षण हैं,
परंतु यह विजय हेतु नहीं अभी सक्षम है।
यह बादल-सा कलयुग बिना बरसे ही चला जाएगा,
यह विनाशकारी समय कुछ क्षण ठहरकर चला जाएगा।-
हर बार सीता की ही अग्नि परीक्षा क्यों ,
राम की भी आत्म परीक्षा होनी चाहिए।
यह कलियुग है साहब,
यहाँ पर हर घर में रामायण और उसमें बसीं सहनशील सीता।
और हर तरफ दुष्ट रावण बसते है।-
फरेबी दुनिया फरेबी लोग ये द्वापर ना है जहाँ प्रेम मिलेगा ये है कलियुग घोर
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सदियुग में पुत्र पिता के आज्ञा पर वनवास जाते थे कलियुग में पिता पुत्र की आज्ञा पर वृद्धाश्रम जाते है
कैसे ये दिन आ गए-
सरकारी नौकरी😇
विद्या ददाति सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी ददाति सुंदर कन्याम्🤗-
कुछ समय तो तुम्हें भी चाहिए कभी
सुकून और शांति का
सोचो जिसमे कैसे कर पाओगे पतन
कलयुग में अशांति का-
मुझे लगा था!
मेरे जाने का उसे अफ़सोस होगा,
लेकिन अफसोस वो तो ,,
दूसरी पटाने में लग गया।-
Jisma ka zamana haii dil bhi batega...
Ki...jisma ka zamana haii dil bhi batega..
Ye kaliyug haii beta..yaha sabka katega-
Bhot hi khas ehsas tha vo
Tere hmesha sth rehne ki ek aas thi vo
Fir kyu ab tere nam se bhi rooh kaap jati hai meri
Sochne pe majboor hu ki chandni thi vo
Ya ek andheri kali raat thi vo
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