एक ज़माना मैनें उसके साथ जन्नत सा जिया है,
और ज़माना पूछता है मुझे इश्क ने क्या दिया है।
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जब बीच राह चलते-चलते कदम थक जाएँगे,
तो सपनों के पंख मंज़िल तक ले जाएँगे।।-
चाहत है मंजिल हो आफताब सी खिली,
पर सफ़र जेहम़त भरा अच्छा नहीं लगता।
झूठी रवायतों के साथ जिए जो उम्रभर पर
इन्हें सच बिना सनसनी सच्चा नहीं लगता।
बच्चों का हक हैं गिरना, गिरकर संभलना
पर दूसरे का बच्चा इन्हें बच्चा नहीं लगता।
शीतल होती है प्रेम से बने रिश्तों की तासीर,
पर मतलब का रिश्ता इन्हें कच्चा नहीं लगता।
भरी महफ़िल उछालते हैं जो इज्ज़त किसी की,
खुद के दामन पर दाग इन्हें अच्छा नहीं लगता।
©अंजलि
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नग़्मा-परवाज़ का सुनाता है...
कुछ इस तरह, वो परिंदा पिंजरे में रहते हुए भी
आसमान की सैर कर आता है !!-
ये दिल सुन रहा है तेरे दिल की जुबान,
बस हर लम्हा तेरे साथ गुजरे,
साया तेरा मेरा बन के चले ।-
नींदनगर से मीलों दूर ख़ुश्क ये निगाहें
आज भी सिरहाने रखी तुम्हारी
डायरी को घण्टों टटोलती है
और बेजान ये ज़िंदगी भी उसी
एक पन्ने पर आ कहीं थम
जाया करती हैं!-
चाह नहीं की मशहूर कर दिया जाऊं
बस किसी के आंखों का नूर कर दिया जाऊं।-
हर दिन ज़हन में एक नया सवाल उठता हैं।
कि आखिर क्यूँ ढलते सूरज के साथ मेरा सवाल भी ढल जाता हैं।
क्या इसी तरह एक दिन बिना जवाब जाने हम भी ढल जाएंगे।
✍️💯-
मोदी जी को खाना खिलाता है किसान।
उसी के हाथों मारा जा रहा है किसान।😢
संम्पूर्ण देश का पेट भरता है किसान।
उसी देशवासियों की र्घणा का शिकार है किसान।😶-