Just Another Day
Just Another Rape
TW: Rape-
सर से धड़ तक क्या अलग है तु?
वह लाल लहू की धारा बहता
तुझमें, मुझमें, हम सबमें है,
फिर भी क्यों तु उच्च, मैं नीच कहलाते?
(Full piece in caption)-
हिंदू बड़े खतरे में हैं भाई.... जल्दी कदम बढ़ावो
12 गाँवों की पंचायत लगाकर रेपिस्टों को बचावो
पुरी प्रशासन लगी है उन हिंदूओं को बचाने में......
सारे साक्ष्यों को छिपाने में rape की report दबाने में
पूरा पक्ष एकजुट है भाई..अपने रेपिस्ट हिंदू बच्चों को बचाने में
लगता है वो एक लड़की सारे हिंदुत्व के लिए खतरा बन गयी
पानी की तरह साफ़ हो गया..वो दलित थी..कभी हिंदू थी ही नहीं
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किसान था खेती करके अन्न उगाया करता था
पर तुम लोगों ने उसे आतंकवादी का नाम दिया
अब वह अपने खेतों में अन्न नही हथियार उगायेगा-
एक तो तू औरत ऊपर से अछूत
दो दो गुनाह किए तूने.............
चार स्वर्ण वर्ग के दरिंदों ने तुझे लुटा....
आज तेरा भी हाल निर्भया जैसा हो गया
पर तू ना अख़बारों की सुर्खियो में है......
ना मनु मीडिया तुझ पर बहस कर रही है
तेरी जीभ काटी गयी,तेरी हड्डियाँ तोड़ी गयी
पुलिस वालों ने तेरी fir पर आना कानी किया
ना प्रशासन ने तुझे किसी अच्छे अस्पताल में रेफ़र किया
ना बॉलीवूड वाले तख़्ता लगा कर अपनी विडियो भेज रहे हैं
ना तेरे नाम का चर्चा ना कोई शोर....
तेरा औरत होना ऊपर से दलित बेटी होना तेरा गुनाह है
ruby
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बेटी दिवस मनाने वाले क्या सीर्फ अपने बेटियों से ही प्यार करते हैं????
हाँ सिर्फ अपने बेटियों से ही प्यार करते हैं
क्योंकि दूसरों की बेटियों से प्यार होता तो उस को नोचते नही,
या बेटी नोचने वालों को कटघरे में खड़ा रखते,जब तक वह फाँसी पर लटक ना जाता....
लेकिन दिखावा तो इस हद तक है अख़बार में आने का
की हाथों में मोमबत्तियाँ लिए दिखते है,पर जैसे ही मालूम पड़ता है.....
वो मासूम जिसे नोचा गया है किसी दलित की बेटी है
उस समय मोमबत्तियाँ तो दूर उनके पैरों में छाले पड जाते हैं.........
क्यों मनाते हो झुठ मूठ का बिटिया दिवस..
आप की बेटी भी दूसरों के लिए वही है, जो आप दूसरों की बेटियों के लिए सोचते हैं....
*नोचे जाने का समान ज़िंदा पका पकाया माँस
क्योंकि आप एकलौते थोड़े ना हो इस समाज में आपके बिरादरी वाले और भी हैं....
क्यों सच्चाई बुरी लग गयी????-
तुम्हारे रामराज़ में स्त्रियों के चरित्र की तो वैसे भी परीक्षा आम है
और परीक्षा के बाद भी तुमने बहिष्कार ही किया है
ये तो आज गरीब बस हाथरस की बिटिया है
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🇮🇳 1 जनवरी - शौर्य दिवस🇮🇳
लड़ाई थी वो "आत्मसम्मान" की,
पराकाष्ठा थी वो सहनशीलता की
जब पांचसोने रोंदा था अठाईस हजार को,
वो कहानी है "भीमा कोरेगांव" की।
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A fellow human being,
With a beautiful soul.
Teenage boy he was,
With so many goals.
Those hearts full of hatred!
He defied them all.
But, It hurts their ego;
And his life started to fall.
He had no idea,
what's exactly happening?
As he was in deep sleep,
or else he would have started running.
Sleeping outside,
Enjoying his dreams.
They came and killed him,
He wasn't even able to scream.
What was his fault?
That he belonged to a lower class?
Upper class oppression is happening!
Yet, silent is our mass.
We speak against racism,
When it happens in foreign.
We see the other way around,
When it's being done by our own countryman.
Equality for all,
It's written in our "Constitution"
But, do they actually apply in our lives?
I really have a big "CONFUSION"
#SpeakUpAgaintDiscrimination
#DalitLivesMatter.
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