किताबों में तेरा नाम ढूंढ रहा हूं।
मिन्नतो से भी न मिला, वो भगवान ढूंढ रहा हूं।-
तू करीब तो आ मेरे,
मैं दुनिया से नाता तोड़ लूं।
बाहों में अपनी तुझे भर लूं,
और खुशबू तेरी ओढ़ लूं।-
बीवी को गुलाब और बच्चों को चॉकलेट से मनाता हूँ
अनजाने में मैं अपने परिवार को भ्रष्ट बनाता हूँ
आगे चल के ऐसे ही लोग सरकार बनाते हैं
भ्रष्टाचार को हम ही शिष्टाचार बताते हैं-
कब सीखोगे तुम,स्त्री के, ना को ना समझना,
सब समझती हैं हम, नादान ना समझना।
अपनी इच्छाओं को तुम, हम पे थोप देते हो,
सँभलते नहीं बीज तुमसे,तो हम में रोप देते हो,
हम भी तो इंसान हैं, है जीने का हक़ हमें,
खुद को तुम हमारा, भगवान ना समझना।
जिस कोख से जन्मे, उसी से विश्वासघात किया,
सहा धरती सा हमने, तो हम पे वज्रपात किया,
जब चाहे तुम गरजे, जब चाहे तुम बरसे,
इन गुणों से खुद को, आसमान ना समझना।
स्त्री को जीत कर क्या, तुम पुरुष बन जाओगे
हमें रुला कर तुम क्या, महापुरुष कहलाओगे
अब न सहेंगी हम, तुम्हारे अत्याचारों को,
शैतान हो तुम, खुद को, इंसान ना समझना ।
पा न सकोगे कभी भी, हमारे हृदय की थाह तुम,
दी नहीं सजा हमने, तो करते रहे गुनाह तुम,
है हिम्मत अगर तो, स्त्री बनकर दिखलाओ,
स्त्री बनना पुरुष सा, आसान न समझना ।
कब सीखोगे तुम,स्त्री के, ना को ना समझना,
सब समझती हैं हम, नादान ना समझना।-
February night
Part 1
Thodi shardi thodi garmi Or mausam tha patjhar ka ..... Bharish behisab si barsh rahi thi.... Class me professor padha rahe the.. Par barish ho or dhyan padhi par ho aisa bhi hota h kya... Tripathi ka dhayan class k window se aati hawa or barish ki traf hi tha.. Finally bharish khtm hui or class bhi.. 5 bhje hostel jane k bus par bethi or room puch kar bed par bethi ki fir se hawa chalne lagi.. Thand ka mausam tha isli socha kyun na chai bana lun. Attendance ka bhi time hone wala tha. So mess jake chai bnai room me aai to whatsApp par ik msg aaya tha
Next part✍..............-
*** क्या रात गुजरी*** थोड़ी बनी, थोड़ी बात बिगड़ी,
याद है तुमको, वो क्या रात गुजरी,
कितना सुहाना पल था
थोड़ा कातिल भी था,
जब आवाज में तुम्हारी फूलों की बौछार निकली
याद है तुमको ,वो क्या रात गुजरी,
खामोश होठ यूँ गुनगुनाने लगे थे
जागते नैना क्या ख्वाब सजाने लगे थे,
थोड़ी चंचल, तो थोड़ी गुमसुम रात गुजरी
याद है तुमको, वो क्या रात गुजरी,
थोड़े इशारे हुए हाथों से
थोड़ी आंखों से बातें भी हुयी,
कभी रूठे बो, तो कभी मनाने में रात गुजरी
याद है तुमको, वो क्या रात गुजरी ,
ऐसी गुजरी ,या वैसी गुजरी
पर जैसी भी गुजरी ,
वाह क्या रात गुजरी,
वाह क्या रात गुजरी,
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Ap tho kitab ka wo panna haa ,
Jo cha kar vii ,mita nahi sakta..
Piyar tho avi vi karta ha apsa ,
Par ;jatha nahi sakta...-
**** मुलाकात ****
जिन्हें देखा था कई मुद्दतों पहले,
आज फिर वैसे बादल नजर आए,
आज जब उनसे सदियों के बाद मुलाकात हुई,
तो बो पहले से ओर भी कातिल नजर आये|
रफ्तार मेरे सांसो की बड़ जाती है उसे देख कर,
काश कभी मुझे भी उसका ये हाल नजर आये,
तसुव्वर है कि चाँद भी समेट लेगा अपनी चाँदनी,
बस कभी चाँद को मेरा चाँद नजर आये|
समंदर मेरी मोहोब्बत का फैला नही है अब तक,
जबकि लहरों को मेरी रेगिस्तान नजर आये,
हवाएं जरूर उड़ा के लाएंगी तपते इस रेत को,
काश हवाओं को मेरा दीदार नजर आये|
आंखों की पलकें खोल के रखी हैं मैने अब तक,
कि उसे मेरी आँखों मे अपना चेहरा नजर आए,
कल जब फिर लौटूँगा में अपने हुजरे की राहों पे,
तब काश लेगों को वो मेरे साथ नजर आए|
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कहीं किसान मर रहा है, कहीं जवान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिन्दुस्तान मर रहा है
बुझ रहे हैं दीप देखो, लौ नहीं है बाती में
चला रहे कुदाल बेटे, भारत माँ की छाती में
मासूमों की चीख, कर रहे सब अनसुना
जन्म ले रहे हैं दानव, मानव की प्रजाति में
जानवर की खातिर, इंसान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है
केसरी...सफ़ेद....या हो हरा
हर रंग एक दूसरे से है डरा
दूध की नदी बहा करती थी जहाँ
खून से रंगी हुई है, आज वो धरा
कब्र डर रही है, श्मसान डर रहा है
हिन्दुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है
लेखकों से कर रहे, शांति की बात
साहित्य तो करता रहा है, क्रांति की बात
लिखता हूँ जब मैं अशांत होता हूँ
करता हूँ हमेशा, मैं अशांति की बात
शीशों से टकराकर, चट्टान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है।-
हमारी हर वजह हम खुद समझते हैं,
दुसरो को क्यों दोष देते हो,
त्योहार निकलते ही भूल जाते हो नाम तक शहीदों का,
फिर क्यों आज लोगों को दिखाबे का जोश देते हो |
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