Prateek Bhardwaj ✍  
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Joined 17 February 2020


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Joined 17 February 2020
10 SEP 2023 AT 13:15

सावन की धूप होगी, और समंदर का किनारा।
हवाओं में बहती तेरी जुल्फें होंगी, और आंखों का वो इशारा।
मैं बाहों में तेरी डूब जाऊंगा,
आ दिखा दे अब जमाने को ये खुबसूरत नजारा।

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25 JUN 2023 AT 12:03

मुझे ज़िन्दगी नाम की उस सुई में पिरोया गया,
जहां मैं जाने-अनजाने न जाने, कितने लोगो को तकलीफ़ देता गया।

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15 JUN 2023 AT 17:44

याद न करूं तो क्या करूं?
मर जाते होगें कायर किसी के इंतज़ार में।
मैं तो वह शख्स हूं!
जो मुद्दतों निकाल देगा तेरे प्यार में।

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26 MAY 2023 AT 10:27

दो ही नजारे पसंद है मुझे,
एक चलते हुए कमर तेरी और एक तेरी जुल्फों का लहराना।

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15 MAY 2023 AT 18:58

खाली सा है मेरे शब्दों का शहर।
सफ़र में जो साथ थे,
मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते वही खिलाफ हो गए।

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18 APR 2023 AT 11:55

मैं निकला था घर से,
कि दिल जो कहेगा, हर वो खुराफात करूंगा।
मैं क्या जानू था?
कि जिम्मेदारियों के बोझ तले, दिन-रात मरूंगा।

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5 APR 2023 AT 13:37

मिले जो कभी तो खुलकर बताऊंगा,
कैसे पीता हूं मैं ज़हर कि तू मेरी नहीं।

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19 MAR 2023 AT 15:29

ऊंचाईयों पर खड़ा अकेला,
यहाँ किसी का अपनापन महसूस नहीं होता।
कहते हैं लोग काबिलियत को सलाम है,
मगर इन्हीं लोगों की नजरों में कोई काबिल नहीं होता।

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14 JAN 2023 AT 13:05

नाराज़गी है मेरे आंगन के गुलाबों में,
वजह मेरे घर में बहती तेरी खुशबू है।

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1 JAN 2023 AT 11:56

Hey

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