जादू था उसकी झूठ से लिपटी अदाओं में,
कि मैं पागल पंछी पिंजरे को बाग समझ बैठा।-
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सावन की धूप होगी, और समंदर का किनारा।
हवाओं में बहती तेरी जुल्फें होंगी, और आंखों का वो इशारा।
मैं बाहों में तेरी डूब जाऊंगा,
आ दिखा दे अब जमाने को ये खुबसूरत नजारा।-
मुझे ज़िन्दगी नाम की उस सुई में पिरोया गया,
जहां मैं जाने-अनजाने न जाने, कितने लोगो को तकलीफ़ देता गया।-
याद न करूं तो क्या करूं?
मर जाते होगें कायर किसी के इंतज़ार में।
मैं तो वह शख्स हूं!
जो मुद्दतों निकाल देगा तेरे प्यार में।-
दो ही नजारे पसंद है मुझे,
एक चलते हुए कमर तेरी और एक तेरी जुल्फों का लहराना।-
खाली सा है मेरे शब्दों का शहर।
सफ़र में जो साथ थे,
मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते वही खिलाफ हो गए।-
मैं निकला था घर से,
कि दिल जो कहेगा, हर वो खुराफात करूंगा।
मैं क्या जानू था?
कि जिम्मेदारियों के बोझ तले, दिन-रात मरूंगा।-
मिले जो कभी तो खुलकर बताऊंगा,
कैसे पीता हूं मैं ज़हर कि तू मेरी नहीं।-
ऊंचाईयों पर खड़ा अकेला,
यहाँ किसी का अपनापन महसूस नहीं होता।
कहते हैं लोग काबिलियत को सलाम है,
मगर इन्हीं लोगों की नजरों में कोई काबिल नहीं होता।-
नाराज़गी है मेरे आंगन के गुलाबों में,
वजह मेरे घर में बहती तेरी खुशबू है।-