वक्त से पहले कुछ भी नहीं मिलता,
और नसीब से ज्यादा नहीं मिलता,
जरूरत से ज्यादा तो सवाल ही नहीं,
ये मन चंचल है कभी मना करता नहीं,
इसको तो ज्यादा-ज्यादा ही पसंद है
कम होना तो इसे नापसंद ही होता है,
वैसे कहा है कि किसी भी अति से बचो,
बोलना, खाना तकरार या खरीदारी से बचो,
सही कहा पर हम (मन)मानते नहीं किसीकी,
हम खुश हैं हमें क्या पड़ी और किसीकी...-
कुछ कविताऐं मैने ऐसी लिखीं,
जिनको कभी सुना ना सके।
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ऐ ईश्वर मेरी एक प्रार्थना सुन ,
किसी को कभी इतनी गरीबी ना देना
कि तेरे होने या ना होने पर
तेरे बंदे को संदेह होने लगे ।-
आजकल सभी वार्तालाप फोन पर,
त्योहारों की आशीष भी फोन पर,
दुनिया सारी इस मोबाइल में सिमट गई,
मिलने का, साथ बिताने का समय कहाँ,
आज कोरोना ने सबको साथ मिला दिया,
आज अॉफिस को भी घर पर बुला लिया,
आज ये दुनिया से दूरी भी अच्छी लगती,
सब मिलकर रह रहे हैं, बात अच्छी लगती..।
--"उमा"-
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Recognise & Value
The Person The He❤art The Soul
Not Just
The Looks The Brands
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क़िताबें लाज़बाबी होने के लिए नही पढ़ रहा
'क़ातिब' मैं तो क़ामयाब होने के लिए पढ़ रहा हूँ....
#एम_लक्ष्मीकांत
#Psycho_Writer ✍
#Мя_NiЯwAnDaЯ★★★
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गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः-
गुरुर शिक्षा , गुरुर भक्ति: गुरूर ईश्के: महेश्वर:!
गुरुर दर्द:, गुरुर जख्म:, गुरु: तस्मै प्रेमाय नम:!!-
How far I have came to find myself
still there is hope in this gloomy path...-
गीतिका
रीतियाँ नश्वर जगत की यों निभाना चाहिए ,
चार दिन की ज़िंदगी का ढंग आना चाहिए ।
राख से पहले यहाँ क्यों हो रहा जीवन धुआँ,
ध्यान चरणों में सदा प्रभु के लगाना चाहिये।
देह माटी की बनी अभिमान इस पर क्यों करें ,
मोह माया से परे ,जीवन बिताना चाहिए ।
ईश है कारक सदा से ,भाव कारक क्यों रखे
कर्म से झोली भरें अब पुण्य पाना चाहिए ।
पाप करते जा रहे क्यों ,धर्म के धारक बनें ,
कीर्ति से शोभित पताका ही दिखाना चाहिए ।
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