anita Srivastava   (Anita sudhir)
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Student of poetry
Master of chemistry
Joined 19 April 2018


Student of poetry
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Joined 19 April 2018
23 OCT 2023 AT 19:37

पञ्चचामर छंद आधारित

मुक्तक
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अधर्म के विनाश को असत्य के निदान को।
सुलेखनी लिखे सदैव सत्य के विधान को।।
मशाल क्रांति की लिए बिना डरे चला करे
जगा सके सुषुप्त को भरे नई उड़ान को।।

अनिता सुधीर आख्या

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19 SEP 2023 AT 9:57

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं


शिव-गिरिजा के लाल को,शत-शत करूँ प्रणाम।
प्रथम पूज्य गणपति प्रभो,आप विराजें धाम।।१।।

एकाक्षर के रूप का,अर्थ निहित अति गूढ़।
गजनासा मस्तक लिए,मूषक पर आरूढ़।।२।।

लंबोदर प्रिय नाम में,करें समाहित सृष्टि।
चार भुजा चहुँ ओर लें,रखें सूक्ष्म दृग दृष्टि।।३।।

विघ्न विनाशक कीजिए,सभी कष्ट का नाश।
बुद्धि प्रदाता दीजिए,जग को सत्य प्रकाश।।४।।

रिद्धि-सिद्धि शुभ-लाभ से,हो जीवन उजियार।
धर्म-कर्म का ज्ञान दे,करें शुद्ध आचार।।५।।


अनिता सुधीर आख्या

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6 APR 2023 AT 8:42

हनुमान प्रकटोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

चैत्र मास की पूर्णिमा, प्रकट हुऐ हनुमान।
राम नाम उर में धरे, करें ईष्ट का ध्यान।।

मारुति नन्दन वज्र सम,रुद्र शिवा अवतार।
रामदूत हनुमान जी,करते बेड़ा  पार।।

जपे नाम हनुमान का,मिटते सारे रोग।
भवसागर से तार दें,उत्तम जीवन भोग।।

सुमिरन कर हनुमंत का,दूर भागता काल।
दया करो मुझ दीन पर,हे अंजनि के लाल।।

भक्तों के दुख दूर हों,संकट मोचक आप।
प्रभु अपना आशीष दो,मिटे जगत का ताप।।

अनिता सुधीर आख्या

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26 JUN 2022 AT 23:52



चाल पासा चल गया अभियान में
ढेर होते सूरमा मैदान में।।

झूमता सा पद नशे में जब चला
दौड़ कुर्सी की लगी दालान में।।

चार दिन की चाँदनी धूमिल हुई
बीतती है उम्र भी पहचान में।।

मान कह के जो लिया तो क्या लिया
लीजिए इसको सभी संज्ञान में।।

नाम उनका ही अमर हो जाएगा
जो रहे नित सत्य के प्रतिमान में।।

शासकों का जब नया अवतार हो
नीतियाँ इतरा चलें उत्थान में।।

पाँव भी कब तक खड़े होंगे यहाँ
तीर सारे जब जुटे संधान में।।

अनिता सुधीर














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25 DEC 2021 AT 14:00

https://motibhavke.blogspot.com/2021/12/0.html?m=1

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25 DEC 2021 AT 13:57

गजल
अनिता

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15 NOV 2021 AT 11:00



बिरसा मुंडा

https://motibhavke.blogspot.com/2021/11/blog-post_14.html?m=1

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29 OCT 2021 AT 14:15


काष्ठ

भाव उकेरे काष्ठ में, कलाकार का ज्ञान।
हस्तशिल्प की यह विधा, गाती संस्कृति गान।।

सजे चिता जब काष्ठ की, पावन हों सब कर्म।
गीता का उपदेश यह, समझें जीवन मर्म।।

चूल्हा ठंडा जब पड़े, सपने जाते सूख।
अग्नि काष्ठ की व्यग्र है,शांत करें कब भूख।।

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19 OCT 2021 AT 23:24

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं

मंगलकारी रात में, हो अमरित बरसात।
शरदपूर्णिमा चाँद से, बहते हृदय प्रपात।।
बहते हृदय प्रपात, शुभ्रता जीवन भरती।
निकट हुए राकेश, धरा आलिंगन करती।।
रखा पात्र में खीर, बना औषधि उपचारी।
सभी कला में पूर्ण, कलानिधि मंगलकारी।।

अनिता सुधीर आख्या

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27 SEP 2021 AT 14:19


गीतिका

सुनी बाघंबरी खबरें, मिटे क्रंदन नहीं मन का।
लगी थी मोह-माया क्यों, किया मंथन नहीं मन का।।

अहं का जाल है फैला, पिपासा नाम की ही है
कहें क्यों व्यर्थ की बातें, किया शोधन नहीं मन का।।

विचारों की अडिगता में, कहाँ से द्वेष आ बैठा
नचाता उँगलियों पर जो, खिले उपवन नहीं मन का।।

लुभाता लोभ क्यों मन को, छिपा है सत्य पर्दों में
पढ़ें हैं ग्रंथ जो सारे , किया पाठन नहीं मन का।।

कुहासे की चढ़ी चादर, ठगे संबंध को सारे
पड़ें हैं स्रोत सूखे से, दिया कानन नहीं मन का।।


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