सूरज निकले परिक्रमा को,
किरणे भी चलीं विचरण को,
चिड़ियों ने नीड छोड़ा है,
पंछी उड़ चले दाना चुगने हैं,
तुम जागो टुक अंखियां खोलो,
आलस तजो मन को खोलो,
पौधौं पर फूल खिल गये हैं,
कलियां भी मंद-मंद मुस्काई हैं,
नदिया का जल भी बहने लगा,
लहरों का कल-कल नाद लगा,
मन की खिड़की खोलो तुम,
उठकर भोर की छटा देखो तुम.
भोर ने भी ली अंगड़ाई देखो,
मन की खिड़की खोलो और देखो...
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ध्यान में बुला-बुलाकर हारी मैं प्रभु को,
दिल में उतार लिया शब्दों से प्रभु को,
साध यही है यही साधना, सधे स्वरों में बाधना,
शक्ति नहीं जो करूँ आराधना, पाने प्रेम तेरा,
भाव जगा देता दर्शन का, हर अक्षर दर्शन तेरा,
मिला मुझे फल जीवन का, शब्दों के ही द्वारा..।
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Relationship is that state of life where people stop finding someone else for love and affection.
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जिसने तुम्हें चलना सिखाया ,
आज उसको ही स्मार्ट फोन चलाना सिखाने में
इतनी आना-कानी क्यों ?-
उन्हें आज के दिन इज़हार करने जाना था और 'क़ातिब'अंतरराष्ट्रीय संबंध सुधारने में व्यस्त था
#गृह_सम्बंध_बिगड़_गया
#Psycho_Writer ✍
#Мя_NiЯwAnDaЯ★★★
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हालातो ने छीन ली हमारी मुष्कान
वर्ना हम जहा बैठते थे वहां रौनक आ जाती थी-
There is something fascinating about Heart...
Sometimes melt like wax...
Another times strong like a diamond...-
Without a doubt,
It is you whom I presumed mine,
It’s you whom I dedicated all of me,
You are my life and
you are the guardian of my soul,
It’s you who introduced me to the love,
and now I’m burning in the slow flame
of the fire you deliberately flared up,
I chosen to burn until you shower
the torrent of love to douse this fire.-
दोहा छन्द गीत
सूर्य ग्रहण
उत्कंठा मन में रही ,क्या है इसका राज ।
ग्रहण सूर्य पर क्यों लगे,रहस्य खुलते आज ।।
नील गगन में घूमते,कितने ग्रह चहुँ ओर ।
चक्कर सूरज का लगा,पकड़े रहते डोर ।।
घूर्णन धरती भी करे, धुरी सूर्य को मान।
चाँद उपग्रह धरनि का,वो भी जाने ज्ञान।।
लिये चाँद को घूमती,करे धरा सब काज,
ग्रहण ..
चाँद धरा सब घूमते ,अपनी अपनी राह।
पूरा गीत कैप्शन में-