चेहरा देखें,
तेरे होंठ और पलकें देखें,
दिल पे आँखें रखें,
तेरी साँसें देखें..!
-हाफी-
उस लड़की से बस इतना रिश्ता है,
मिल जाए तो बात वगैरह करती है,
मैं उसकी खुशबू ओढा करता हूँ,
वो मेरी आवाजें पहना करती है!-
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
जो देखता हूँ मैं वो भूलता नहीं...
किसी मुंडेर पर कोई दिया जला,
फिर इस के बाद क्या हुआ पता नहीं
मैं आ रहा था रास्ते मैं फूल थे
मैं जा रहा हूँ कोई रोकता नहीं
तेरी तरफ़ चले तो उम्र कट गई
ये और बात रास्ता कटा नहीं.. @love_ki_pathshala_
इस अज़दहे की आँख पूछती रही
किसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहीं
मैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बे-ख़बर
मैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहीं
ये इश्क़ भी अजब कि एक शख़्स से
मुझे लगा कि हो गया हुआ नहीं...!!
~हाफी-
आज उसके गाल चूमे हैं
तो अंदाज़ा हुआ,
चाय अच्छी है मग़र
थोड़ा सा मीठा तेज़ है।
~हाफ़ी-
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
-
रुक गया है या वो चल रहा है,
हमको सब कुछ पता चल रहा है।
मेरा लिखा हुआ रह गया था,
उसका काटा हुआ चल रहा है।
मुझसे कल वक़्त पूछा था किसीने,
कह दिया कि बुरा चल रहा है।
-
इसलिए ये महीना ही शामिल नहीं उम्र की जंत्री में हमारी,
उसने कहा था कि शादी है इस फरवरी में हमारी..!!
~हाफी-
अल्फ़ाज़ नहीं मिले मौके पर वरना कुछ और बोलता,
बेशक मैं तुझसे अच्छा बोलता।।
यूं ना समझ मैं "हाफी" की नकल करता हूं,
गर "हाफ़ी" नमाज़ होती तो मेरा सजदा भी बोलता।।।-
ये एक बात समझने में रात हो गई है,
में उस से जीत गया हूं कि मात हो गई है,
में अब के साल परिंदों का दिन मनाऊंगा,
मेरी करीब के जंगल से बात हो गई हैं,
बिछड़ के तुज से न खुश रहे सकूंगा सोच था,
तेरी जुदाई ही वजह-ए-नशात हो गए हैं,
में जंगलो की तरफ चल पड़ा हूं छोड़ के घर,
ये क्या की घर की उदासी भी साथ हो गई है,
रहेगा याद मदीने से वापसी का सफर,
में नज्म लिखने लगा था कि नात हो गई हैं,
ये एक बात समझने में रात हो गई है।
-तहज़ीब 'हाफी' साहब-