अनवर 'मन्सूरी'   (अनवर 'मन्सूरी')
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President Of Undercover
Medico
Writer
Joined 24 March 2019


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Joined 24 March 2019

समंदर ए इश्क में ना डूबते तो क्या करते,
हम अगर बच भी जाते तो क्या करते?

वो अदा, वो आंखे, वो होंठ, वो जुल्फे,
हम जान हथेली पे ना रखते तो और क्या करते?

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इस कदर जिंदगी का रुख मोड़ दिया करता हूं,
मैं डूबते वक्त सहारा छोड़ दिया करता हुं!

मुझे इस बला से रिहा करदे मेरे मौला,
मैं बात–बात पर रिश्ते तोड़ दिया करता हूं!!

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सर्द की धूप में बादल हो जाते हो,
क्या तुम भी मेरी तरह इश्क में पागल हो जाते हो!

एक हम है कि तेरे होंठो की लाली पे अटके है,
एक तुम हो कि किसी गैर की आंखों का काजल हो जाते हो!!

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नावाकिफ थे, तो सोचते थे "अनवर"
किस्सा होता है, लगना दिल का!

पहले तुझे देखा, फिर हमने देखा,
हकीकत होता है मचलना दिल का!!

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मुसाफिर हु, आवारा तो नही,
मुझे दर–दर भटकना गंवारा तो नहीं!

ये मेरा दर्द–ए–सर कैसे जाएगा?
उसने मेरे बिखरे बालो को संवारा तो नही!!

बेजान दिल इन वीरानो में संजीदा है,
कही इन वीरानों में उसका ठिकाना तो नही!!

सजदों में गिरकर हमने उसका नाम लिया है,
कभी उसने मुझे शिद्दत से पुकारा तो नही!!

जिसमे इंतजार ना हो वो इश्क कैसा?
दोस्त ये मुहब्बत है, कोई माजरा तो नही!!

लम्हा लम्हा कर गुजर गया वक्त तमाम,
अब वो आएगा के नहीं मुझे ऐतबार तो नही!!

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खयालातों से निकलकर हकीकत में बैठ गया,
तेरे दरख़्त ए दिल पे ये दिल बैठ गया!!

अमीर ए शहर ने कहा कि बैठ जाओ जमी पर कही भी,
मुझे जमी नही दिखी, तेरी बगल में बैठ गया!!

दिखाई न दूं तुम्हे तो तलाश मत करना,
मैं ये नही बताऊंगा कि कहा बैठ गया!!!

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बदनामी के दौर में मेरा नाम करते है,
ये मेरे दुश्मन भी कैसा काम करते है।




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इंतज़ार में जाया वक़्त की क़ीमत तो दे,
मेरा मत बन मुझे तनहा रहने की हिम्मत तो दे।

जगह बनायेंगे हम भी तेरे ख़यालों में,
बस कुछ दिन की ओर मोहलत तो दें।।

ये दिल तेरे ख़यालों में संजीदा हैं,
इसे ख़ुद के बारे में सोचने की फ़ुर्सत तो दें।।।




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एक बारिश के इंतज़ार में तनहा रातें गुज़ार चुके हैं,
हम तेरे दीदार को महीने गुज़ार चुके हैं।

यू लब दबाकर सामने मत बैठो मेरे,
हम तेरी आँखो से तेरा हाल जान चुके हैं।।

महज़ परदे से पहचान ओझल नहीं होतीं,
ये कान तुम्हें पाजेब की खनक से पहचान चुके हैं।।।

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ज़हन की ग़लतफ़हमी है सारी,
मुझे छोड़कर क्या मिलेगा!

हवाओ से दोस्ती हो पतंग की अगर,
उसकी डोर काटकर क्या मिलेगा!!

“Ignorance” एक हद तक जायज़ हैं,
ज़्यादा होगा तो “हीरे” की जगह “कोयला” मिलेगा!!!

वक़्त के दरमियान रह लो,
वक़्त के बाद मिलेगा तो “पछतावा” मिलेगा!!!

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